---Advertisement---

Who-Fi Technology: आपकी प्राइवेसी खतरे में? कपड़े बदलो या बैग लटकाओ सब देख लेगा!

By
Last updated:
Follow Us

Who-Fi Technology: कपड़े बदलो या बैग लटकाओ, ये सिस्टम आपको फिर भी पहचान लेगा

Who-Fi क्या है?

Who-Fi एक नई और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है जो Wi-Fi सिग्नल के माध्यम से लोगों की पहचान और मूवमेंट ट्रैक कर सकती है, वो भी बिना किसी कैमरा या माइक्रोफोन के। यह टेक्नोलॉजी Wi-Fi सिग्नल की दिशा और ताकत में आने वाले बदलावों को रिकॉर्ड करके व्यक्ति की एक यूनिक बायोमेट्रिक सिग्नेचर तैयार करती है। यह टेक्नोलॉजी बेहद सस्ते हार्डवेयर के साथ काम करती है और दीवार के पीछे से भी लोगों की मूवमेंट को ट्रैक करने में सक्षम है।

AI आधारित ट्रैकिंग, बिना विजुअल इनपुट के

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। Who-Fi आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एक अत्याधुनिक तकनीक है जो किसी भी व्यक्ति की पहचान कर सकती है, वो भी बिना किसी विजुअल इनपुट के। यह अभी एक एक्सपेरिमेंटल स्टेज में है, लेकिन इससे संबंधित रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि यह किसी भी Wi-Fi सिग्नल को बायोमेट्रिक स्कैनर की तरह इस्तेमाल कर सकता है। यह न केवल व्यक्ति की मूवमेंट बल्कि उनके यूनिक बायोमेट्रिक पैटर्न को भी पहचान सकता है।

रिसर्च पेपर और टेक्निकल प्रक्रिया

arXiv जर्नल में प्रकाशित पेपर के अनुसार, Who-Fi सिस्टम रेगुलर 2.4GHz Wi-Fi सिग्नल और ट्रांसफॉर्मर-बेस्ड न्यूरल नेटवर्क (LLM) का इस्तेमाल करता है। यह सिस्टम चैनल स्टेट इन्फॉर्मेशन (CSI) का विश्लेषण करता है, जिसमें Wi-Fi सिग्नल के ताकत और फेज में आए बदलाव शामिल होते हैं। जब ये सिग्नल कमरे की दीवारों से टकराकर किसी व्यक्ति से गुजरते हैं तो उनका पैटर्न बदल जाता है। ये बदलाव व्यक्ति के फिजिकल मूवमेंट और बॉडी स्ट्रक्चर के अनुसार यूनिक होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे फिंगरप्रिंट या चेहरे की बनावट।

साइन लैंग्वेज और रीयल-टाइम पहचान

एक बार जब सिस्टम को व्यक्ति के बायोमेट्रिक सिग्नेचर से ट्रेंड कर दिया जाता है, तो यह न सिर्फ उनकी मूवमेंट को ट्रैक कर सकता है बल्कि समय बीतने के बाद भी नेटवर्क में उनके प्रवेश को पहचान सकता है। यही नहीं, यह सिस्टम व्यक्ति की मूवमेंट को इतनी बारीकी से ट्रैक कर सकता है कि साइन लैंग्वेज जैसी जटिल गतिविधियों को भी समझ सकता है। इस प्रक्रिया में किसी कैमरा या ऑडियो सेंसर की जरूरत नहीं होती।

हार्डवेयर और एक्यूरेसी

रिसर्च के मुताबिक, Who-Fi केवल एक एंटीना वाले ट्रांसमीटर और तीन एंटीना वाले रिसीवर से काम करता है, जिससे यह अत्यधिक किफायती और डिप्लॉयमेंट में आसान हो जाता है। टारगेट के दीवार के पीछे होने पर भी इस सिस्टम ने 95.5% सटीकता से ट्रैकिंग की है। व्यक्ति के कपड़े बदलने या बैग लटकाने से भी इसकी पहचान पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

मल्टीपल यूजर ट्रैकिंग और हिडन सिस्टम

Who-Fi सिस्टम एक समय में 9 व्यक्तियों तक की पहचान करने में सक्षम है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह टेक्नोलॉजी हाई इवेजन मोड में काम करती है, यानी यह अन्य सर्विलांस डिटेक्शन टूल्स द्वारा आसानी से पकड़ी नहीं जा सकती। इसमें कोई स्पेशल हार्डवेयर, रेडार, लाइट या इमिशन नहीं होते जिससे इसे पहचाना जा सके।

FAQs

Q: Who-Fi टेक्नोलॉजी क्या है?

Who-Fi एक AI बेस्ड सिस्टम है जो Wi-Fi सिग्नल के ज़रिए व्यक्ति की पहचान और मूवमेंट ट्रैक करता है।

Q: ये सिस्टम कैमरे या माइक के बिना कैसे काम करता है?

ये Wi-Fi सिग्नल की ताकत और दिशा में बदलाव को रिकॉर्ड करके व्यक्ति की यूनिक सिग्नेचर पहचानता है।

Q: क्या कपड़े बदलने से पहचान में फर्क आता है?

नहीं, Who-Fi कपड़े बदलने या बैग पहनने के बावजूद व्यक्ति को पहचान सकता है।

Q: क्या यह टेक्नोलॉजी भारत में उपलब्ध है?

अभी यह एक एक्सपेरिमेंटल स्टेज में है और मुख्य रूप से रिसर्च पेपर तक सीमित है।

Q: क्या यह सिस्टम प्राइवेसी के लिए खतरा है?

हां, इसकी हाई एक्यूरेसी और छुपे रहकर ट्रैकिंग करने की क्षमता से प्राइवेसी पर सवाल उठते हैं।

Q: Who-Fi टेक्नोलॉजी किस रिसर्च पेपर में दर्ज है?

यह टेक्नोलॉजी arXiv प्रीप्रिंट जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में दर्ज है, जिसमें इसका प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट भी शामिल है।

Q: क्या यह टेक्नोलॉजी कम कीमत पर उपलब्ध हो सकती है?

जी हां, इसमें केवल एक ट्रांसमीटर और तीन रिसीवर की जरूरत होती है, जिससे इसकी लागत बहुत कम रहती है।

Q: क्या यह टेक्नोलॉजी किसी भी इंसान की पहचान कर सकती है?

हां, ट्रेन्ड सिग्नेचर के आधार पर यह किसी भी व्यक्ति को बार-बार पहचान सकती है, भले ही उसने कपड़े बदल लिए हों।

Q: क्या यह सिस्टम साइन लैंग्वेज को भी समझ सकता है?

जी हां, यह सिस्टम बॉडी मूवमेंट को इतनी बारीकी से पकड़ सकता है कि वह साइन लैंग्वेज की एक्टिविटी भी डिकोड कर सकता है।

Q: Who-Fi का उपयोग कहां किया जा सकता है?

यह टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी, होम ऑटोमेशन और सर्विलांस सिस्टम्स में उपयोग की जा सकती है, लेकिन इसके साथ प्राइवेसी से जुड़े मुद्दे भी उठते हैं।

Q: क्या यह टेक्नोलॉजी भारत में लागू हो सकती है?

अगर इसकी एफिशिएंसी और लागत सही साबित होती है तो भारत में सिक्योरिटी और ट्रैकिंग के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल संभव है।

Q: क्या यह टेक्नोलॉजी कानूनी रूप से सुरक्षित है?

वर्तमान में इसकी कोई स्पष्ट लीगल गाइडलाइन नहीं है, लेकिन प्राइवेसी लॉज के अंतर्गत इसे रेगुलेट करने की आवश्यकता हो सकती है।

सरकार का बड़ा एक्शन: Ullu और ALTT समेत 25 OTT प्लेटफॉर्म्स बैन, जानिए पूरा मामला और इसके पीछे की वजहें

DeshTak

DeshTak.com – Desh ki Baat, Sidhe Aap Tak DeshTak.com is a reliable and fast digital news platform dedicated to bringing every important news of the country and the world straight to you. Here you get breaking news, real-time updates, and in-depth analytical reporting - that too in both Hindi and English. From politics to technology, entertainment to sports and global events, DeshTak provides verified, unbiased content on every topic. Our aim is to give you fast, accurate and reliable information - so that you stay connected with every news, from anywhere.

For Feedback - feedback@example.com
Join Our WhatsApp Channel

Leave a Comment