Top 10 Agriculture Tools Name and Uses: नाम, उपयोग और मुनाफा बढ़ाने के अचूक तरीके

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Top 10 Agriculture Tools Name and Uses Hindi: कृषि में क्रांति की शुरुआत: क्यों जानना ज़रूरी है टॉप 10 उपकरणों के नाम और उनके सही इस्तेमाल?

नमस्ते! मैं 10 साल से कृषि और खेती की बारीकियों को नज़दीक से देखता आ रहा हूँ, और मेरा अनुभव कहता है कि अच्छी फसल का रहस्य केवल बीज और मिट्टी में नहीं है, बल्कि सही कृषि उपकरण (Agricultural Tools) के चुनाव और इस्तेमाल में है। आज की खेती, खासकर भारत में, अब सिर्फ शारीरिक श्रम पर निर्भर नहीं रह सकती। हमें ‘पीपल-फर्स्ट’ अप्रोच अपनाते हुए, किसानों के काम को आसान और ज़्यादा मुनाफ़ेदार (Profitable) बनाने पर ज़ोर देना होगा।

एक ज़माने में बैल और हल ही सब कुछ थे, लेकिन अब समय बदल गया है। अगर आप एक serious learner हैं और अपनी खेती को 10X बेहतर बनाना चाहते हैं, तो आपको आधुनिक कृषि यंत्रों को अपनाना होगा। ये उपकरण आपके खेत के ‘सुपरपावर’ हैं, जो कम समय और लागत में ज़्यादा काम करते हैं। हम यहां सिर्फ नाम नहीं गिनाएंगे, बल्कि हर टूल के पीछे का वैज्ञानिक कारण और रियल-वर्ल्ड उपयोग समझेंगे। याद रखें, सही टूल का चुनाव आपकी आधी लड़ाई जीत लेता है। आइए, जानते हैं वो टॉप 10 उपकरण जो आपकी किसानी को नई दिशा देंगे।

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1. ट्रैक्टर (Tractor): खेत का “Multi-Tasking King”

ट्रैक्टर को आधुनिक खेती की रीढ़ की हड्डी (Backbone) कहें तो गलत नहीं होगा। यह सिर्फ खींचने वाली मशीन नहीं है, बल्कि एक पावर हब है जिससे कई अन्य ट्रैक्टर इम्प्लीमेंट्स (Tractor Implements) जुड़कर जुताई, बुवाई, और कटाई जैसे काम करते हैं। इसकी तुलना आप एक स्विस आर्मी नाइफ से कर सकते हैं—एक टूल, कई काम।

2025 के डेटा के अनुसार, भारत में 70 HP से कम के कॉम्पैक्ट ट्रैक्टरों की मांग छोटे और मध्यम किसानों के बीच तेज़ी से बढ़ी है क्योंकि ये कम ईंधन में पावर टिलर जितना काम, और उससे कहीं ज़्यादा कुशलता (Efficiency) से करते हैं। इसका मुख्य उपयोग:

  • जुताई: मिट्टी को पलटना और ढीला करना।
  • ढुलाई (Haulage): ट्रॉली लगाकर फसल या खाद को खेत से मंडी तक ले जाना।
  • अन्य काम: पम्प सेट या स्प्रेयर को पावर देना।

फैक्ट: कई राज्यों में, खासकर पीएम किसान ट्रैक्टर योजना के तहत, किसानों को ट्रैक्टर खरीद पर 20% से 50% तक सब्सिडी मिलती है। यह Farming Technology में पहला और सबसे बड़ा निवेश है जो आपको हर साल भारी रिटर्न देगा।

2. रोटावेटर (Rotavator): मिट्टी को “भुरभुरा” बनाने का जादू

रोटावेटर, जिसे Rotary Tiller भी कहते हैं, मिट्टी की तैयारी के लिए सबसे ज़रूरी उपकरण है। इसका काम है खेत की जुताई करना और मिट्टी के ढेलों को तोड़कर उसे पूरी तरह से भुरभुरा (Pulverized) बना देना। यह पुरानी जुताई के तरीके, जैसे हल या कल्टीवेटर, से कहीं बेहतर है क्योंकि यह एक ही पास में सारा काम कर देता है।

अद्वितीय इनसाइट: इसका सबसे बड़ा फायदा है पिछली फसल के अवशेषों (Crop Residue) को मिट्टी में मिलाना। इससे न केवल खेत की सफाई होती है, बल्कि ये अवशेष सड़कर हरी खाद (Green Manure) का काम करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति (Fertility) बढ़ती है। यह एक ‘टू-इन-वन’ समाधान है।

  • उपयोग: धान या गेहूं की कटाई के बाद खेत को अगली फसल के लिए तैयार करना।
  • विशेषता: यह ईंधन (Fuel) की बचत करता है, क्योंकि एक ही बार में मिट्टी बुवाई के लिए तैयार हो जाती है।

याद रखें, बीज को स्वस्थ वातावरण चाहिए, और रोटावेटर वही वातावरण तैयार करता है—जैसे एक आर्टिस्ट कैनवास तैयार करता है अपनी पेंटिंग के लिए। गीली और सूखी, दोनों तरह की मिट्टी के लिए अलग-अलग ब्लेड पैटर्न वाले रोटावेटर उपलब्ध हैं।

3. सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल (Seed-cum-Fertilizer Drill): सटीक बुवाई का सूत्र

सही समय पर, सही गहराई पर और सही दूरी पर बीज बोना ही अच्छी फसल की कुंजी है। यहीं पर सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल (Seed Drill) सबसे बड़ा गेम चेंजर साबित होता है। यह एक ऐसा यंत्र है जो बीज और खाद, दोनों को एक साथ, समान दूरी (Uniform Spacing) और समान गहराई (Uniform Depth) पर बोता है।

2025 के मानकों के अनुसार, जीरो टिलेज (Zero Tillage) तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। जीरो टिलेज सीड ड्रिल इसी दिशा में एक कदम है। यह बिना जुताई किए भी बुवाई कर सकता है, जिससे मिट्टी की नमी (Soil Moisture) बनी रहती है और मिट्टी का कटाव (Erosion) कम होता है।

  • बचत: यह बीज की बर्बादी को 15-20% तक कम करता है, क्योंकि हाथ से बुवाई करने पर बीज असमान रूप से गिरते हैं।
  • फायदा: पौधे एक-दूसरे से मुकाबला नहीं करते और सभी को एक समान पोषक तत्व (Nutrients) मिलते हैं, जिससे उच्च अंकुरण दर (High Germination Rate) सुनिश्चित होती है।

यह टूल ठीक वैसा है जैसे किसी इमारत की नींव को एकदम बराबर और मज़बूत बनाना, ताकि ऊपर की पूरी संरचना (फसल) स्वस्थ और टिकाऊ बन सके।

4. कल्टीवेटर (Cultivator): खरपतवार नियंत्रण और जुताई का सहायक

कल्टीवेटर, जिसे हिंदी में खुरपी का बड़ा रूप कह सकते हैं, मुख्य रूप से खेत की माध्यमिक जुताई (Secondary Tillage) और खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग होता है। अगर रोटावेटर मुख्य जुताई करता है, तो कल्टीवेटर ज़मीन को और ढीला और समतल करने में मदद करता है।

रियल-वर्ल्ड ऑब्ज़र्वेशन: किसान अक्सर कल्टीवेटर का उपयोग बुवाई से ठीक पहले करते हैं ताकि मिट्टी की ऊपरी परत से बचे-खुचे खरपतवार (Weeds) निकल जाएं। यह टूल रोटावेटर जितना गहन काम नहीं करता, बल्कि खेत को ‘फाइनल टच’ देने का काम करता है।

  • मुख्य उपयोग: मिट्टी को वायु संचारित (Aeration) करना और खरपतवारों को उखाड़ना।
  • प्रकार: स्प्रिंग टाइन (Spring Tine) कल्टीवेटर और कठोर टाइन (Stiff Tine) कल्टीवेटर, मिट्टी के प्रकार के हिसाब से चुने जाते हैं।

आज के समय में, पावर वीडर (Power Weeder) भी छोटे खेतों के लिए कल्टीवेटर का एक पोर्टेबल और अत्यधिक प्रभावी विकल्प बन गया है, खासकर पंक्ति में बोई गई फसलों (Row Crops) में निराई-गुड़ाई के लिए। यह श्रम की लागत और समय, दोनों बचाता है।

5. स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई प्रणाली (Sprinkler and Drip Irrigation): जल प्रबंधन की बुद्धिमत्ता

पानी—यह खेती का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। एक अनुभवी किसान होने के नाते मैं आपको बता सकता हूँ कि आज की सबसे बड़ी चुनौती पानी बचाना है। स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation System) इसी चुनौती का आधुनिक और वैज्ञानिक समाधान हैं।

तुलनात्मक विश्लेषण और डेटा: भारत में पारंपरिक बाढ़ सिंचाई (Flood Irrigation) में 30% से ज़्यादा पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि:

  1. ड्रिप सिस्टम: पानी को सीधे पौधे की जड़ तक बूँद-बूँद पहुंचाता है। यह 50% से 70% तक पानी की बचत करता है। यह बागवानी फसलों और पंक्ति में बोई गई सब्जियों के लिए सबसे प्रभावी है।
  2. स्प्रिंकलर सिस्टम: बारिश की तरह पानी का छिड़काव करता है। यह 25% से 50% तक पानी बचाता है और असमान भूमि के लिए आदर्श है।

ये दोनों उपकरण केवल पानी नहीं बचाते, बल्कि पानी के साथ दिए जाने वाले घुलनशील उर्वरक (Fertilizer) या कीटनाशकों (Pesticides) की भी बर्बादी रोकते हैं, जिसे फर्टिगेशन (Fertigation) कहते हैं। यह सटीक खेती (Precision Farming) की तरफ पहला कदम है।

6. कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester): कटाई का सुपरफास्ट समाधान

कटाई (Harvesting) किसी भी किसान के लिए सबसे महत्वपूर्ण और समय लेने वाला चरण होता है। कंबाइन हार्वेस्टर एक ऐसी मशीन है जो तीन काम एक साथ करती है—कटाई (Reaping), थ्रेसिंग (Threshing) और सफाई (Winnnowing)। इसीलिए इसे ‘कंबाइन’ कहते हैं।

अनुभव-आधारित कमेंट्री: जिन किसानों के पास बड़े खेत हैं, या जिन्हें कटाई के तुरंत बाद अगली फसल बोनी है, उनके लिए हार्वेस्टर एक वरदान है। यह मानव श्रम की आवश्यकता को लगभग समाप्त कर देता है और फसल को कम से कम नुकसान के साथ, तेज़ी से मंडी तक पहुंचाने में मदद करता है। कटाई में देरी होने से मौसम की मार का खतरा बढ़ जाता है, जिसे यह मशीन टालती है।

  • मुख्य उपयोग: गेहूं, धान, सोयाबीन और मक्का जैसी अनाज फसलों की कटाई।
  • फायदा: फसल कटाई के बाद होने वाले अनाज के नुकसान (Grain Loss) को कम करता है, जिससे प्रति एकड़ उत्पादकता (Productivity) बढ़ती है।

यह मशीन किसानों को ‘कटाई की दौड़’ में आगे रखती है, खासकर जब मॉनसून या अचानक मौसम बदलने का खतरा हो।

7. पावर टिलर (Power Tiller): छोटे खेतों का दमदार साथी

भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या सबसे ज़्यादा है, जिनके लिए बड़ा ट्रैक्टर खरीदना या चलाना मुश्किल होता है। ऐसे में पावर टिलर, जिसे दो-पहियों वाला ट्रैक्टर भी कह सकते हैं, एक किफायती और बहुउपयोगी विकल्प है। यह रोटावेटर से हल्का होता है, लेकिन जुताई, निराई, और बीज बोने जैसे कई काम कर सकता है।

एक्सपर्ट सलाह: पावर टिलर उन hilly या पठारी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ बड़े ट्रैक्टर नहीं पहुँच पाते। यह न सिर्फ जुताई करता है, बल्कि छोटे अटैचमेंट (attachments) लगाकर निराई-गुड़ाई (Weeding) और कीटनाशक छिड़काव (Pesticide Spraying) भी कर सकता है।

  • खासियत: कम ईंधन खपत और आसान संचालन (Easy Handling)।
  • बढ़ता चलन: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर इसकी ऑनलाइन बिक्री में वृद्धि छोटे किसानों के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाती है।

यह कम लागत में मैकेनाइजेशन (Mechanization) की शुरुआत करने का एक शानदार तरीका है। यह एक शुरुआती निवेश है जो आपको कम श्रम में अधिक फसल लेने का भरोसा देता है।

8. स्प्रेयर पंप (Sprayer Pump): सुरक्षा कवच का सटीक छिड़काव

फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाना उतना ही ज़रूरी है जितना कि उन्हें उगाना। स्प्रेयर पंप (Sprayer Pump) फसलों पर कीटनाशक, फफूंदनाशक और तरल उर्वरकों (Liquid Fertilizers) का एक समान छिड़काव सुनिश्चित करता है।

LSI इंटीग्रेशन: आज, किसान केवल मैन्युअल या हैंड नैपसैक स्प्रेयर (Knapsack Sprayer) का उपयोग नहीं कर रहे हैं, बल्कि बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर और यहाँ तक कि कृषि ड्रोन (Agricultural Drones) का उपयोग भी बढ़ रहा है।

  • बैटरी स्प्रेयर: मैनुअल पंपिंग की ज़रूरत खत्म, श्रम कम।
  • ड्रोन: बड़े और दूर वाले खेतों में, कम समय में, अत्यधिक सटीकता (Precision) के साथ छिड़काव।

अनुभव-जन्य सत्य: छिड़काव में समानता (Uniformity) बहुत महत्वपूर्ण है। अगर छिड़काव एक जैसा नहीं होगा, तो कहीं फसल पर ज़्यादा दवा लगेगी (जिससे नुकसान हो सकता है) और कहीं कम (जिससे कीट नहीं मरेंगे)। इसलिए सही स्प्रेयर का चुनाव और उसका कैलिब्रेशन (Calibration) सबसे ज़रूरी है।

9. चाफ़ कटर (Chaff Cutter): पशुधन के लिए पौष्टिक चारा

यह उपकरण सीधे फसल उत्पादन से संबंधित न होकर, खेती के एक महत्वपूर्ण पहलू—पशुधन प्रबंधन (Livestock Management)—से जुड़ा है। चाफ़ कटर (Chaff Cutter) घास, पुआल (Straw), और साइलेज जैसे कृषि अवशेषों को छोटे, एकसमान टुकड़ों में काटता है।

गहन विश्लेषण: जब चारा छोटे टुकड़ों में कट जाता है, तो पशु उसे पूरी तरह से खाते हैं, जिससे चारे की बर्बादी (Feed Wastage) कम होती है। साथ ही, छोटे टुकड़ों को पशु आसानी से पचा पाते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य और दूध उत्पादन बेहतर होता है।

  • उपयोग: पशुओं के लिए पौष्टिक फ़ीड (Nutritious Feed) तैयार करना।
  • फायदे: चारे की बर्बादी कम होती है, पशुओं का पाचन सुधरता है।

यह उपकरण किसानों की ‘डबल इनकम’ को सपोर्ट करता है—एक तरफ फसल से, और दूसरी तरफ बेहतर पशुधन स्वास्थ्य से। इलेक्ट्रिक और डीज़ल दोनों तरह के चाफ़ कटर आज बाज़ार में उपलब्ध हैं।

10. हैरो (Harrow): मिट्टी को समतल और दानेदार बनाने का यंत्र

जुताई के बाद भी मिट्टी में बड़े-बड़े ढेले (Clumps) रह जाते हैं, जिन्हें तोड़ना और खेत को समतल (Level) करना ज़रूरी होता है। हैरो (Harrow) का उपयोग मुख्य रूप से मिट्टी के ढेलों को तोड़ने, खेत को समतल करने और उर्वरक को मिट्टी में मिलाने के लिए किया जाता है।

प्रकार और उपयोगिता:

  • डिस्क हैरो (Disc Harrow): यह डिस्क की मदद से मिट्टी को काटता और पलटता है।
  • स्पाइक टूथ हैरो (Spike Tooth Harrow): यह हल्की मिट्टी को समतल करने और खरपतवार निकालने में काम आता है।

मेंटरिंग सलाह: एक समतल खेत (Level Field) क्यों ज़रूरी है? क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सिंचाई का पानी (Irrigation Water) खेत के हर कोने में समान रूप से पहुँचे। अगर खेत ऊबड़-खाबड़ होगा, तो कहीं पानी जमा हो जाएगा और कहीं सूखा रहेगा, जिससे फसल की वृद्धि असमान हो जाएगी। सही हैरोइंग (Harrowing) एक अच्छी फसल की बुनियाद है।

Conclusion

देखिए, एक विशेषज्ञ होने के नाते मेरा स्पष्ट मानना है कि सिर्फ बड़े और महंगे उपकरणों से ही खेती आधुनिक नहीं होती। असली में तब आता है जब आप अपने खेत के साइज़, मिट्टी के प्रकार, और बजट के अनुसार सही टूल का चुनाव करते हैं। हमने जिन टॉप 10 खेती के औजारों (Farm Tools) की बात की, वो आपकी दक्षता (Efficiency) को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

अगर आप छोटे किसान हैं, तो Power Tiller और Seed Drill से शुरुआत करें। अगर आप बड़े किसान हैं, तो Combine harvesters और Drip systems पर फोकस करें। याद रखें, सरकार की कृषि सब्सिडी योजनाओं का लाभ ज़रूर लें। यह ज्ञान आपको बाज़ार की भीड़ से अलग करेगा। अब देर मत कीजिए—इन उपकरणों को अपनाइए और अपने खेत को मुनाफ़े की खान बनाइए।

FAQs

1. आधुनिक कृषि उपकरण कौन-कौन से हैं और छोटे किसानों के लिए कौन से सबसे अच्छे हैं?

आधुनिक कृषि उपकरण वे हैं जो समय, श्रम और लागत बचाते हुए उत्पादकता (Productivity) बढ़ाते हैं।

  • प्रमुख आधुनिक उपकरण: ट्रैक्टर, रोटावेटर, सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल, कंबाइन हार्वेस्टर, और ड्रिप/स्प्रिंकलर सिस्टम।
  • छोटे किसानों के लिए सर्वश्रेष्ठ:
    • पावर टिलर (Power Tiller): यह कॉम्पैक्ट होता है और छोटी ज़मीन पर जुताई, बुवाई, और निराई-गुड़ाई का काम आसानी से कर सकता है।
    • बैटरी ऑपरेटेड स्प्रेयर (Battery Sprayer): मैनुअल श्रम को कम करता है और छिड़काव में एकरूपता (Uniformity) लाता है।
    • सीड ड्रिल/प्लांटर (Seed Planter): बीजों की बर्बादी रोककर उच्च अंकुरण दर सुनिश्चित करता है।

2. ट्रैक्टर के अलावा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले 5 कृषि उपकरण कौन से हैं?

ट्रैक्टर, भले ही ‘किंग’ हो, लेकिन उसके बिना भी ये 5 उपकरण हर खेत की जान हैं:

  1. रोटावेटर (Rotavator): मिट्टी को तुरंत बुवाई के लिए तैयार करना।
  2. सीड ड्रिल (Seed Drill): बीज और खाद को सटीक गहराई पर बोना।
  3. कल्टीवेटर (Cultivator): माध्यमिक जुताई और खरपतवार नियंत्रण।
  4. ड्रिप/स्प्रिंकलर सिस्टम (Irrigation System): जल प्रबंधन और पानी की बचत।
  5. स्प्रेयर पंप (Sprayer Pump): फसल सुरक्षा के लिए कीटनाशकों का छिड़काव।

3. रोटावेटर और कल्टीवेटर में क्या अंतर है और किसका उपयोग कब करना चाहिए?

यह सबसे ज़रूरी सवाल है क्योंकि इनका काम अलग-अलग है:

विशेषता रोटावेटर (Rotavator) कल्टीवेटर (Cultivator)
मुख्य काम प्राथमिक जुताई (Primary Tillage) और मिट्टी को पूरी तरह भुरभुरा बनाना। माध्यमिक जुताई (Secondary Tillage), निराई-गुड़ाई, और ज़मीन समतल करना।
उपयोग समय फसल की कटाई के बाद, ज़मीन तैयार करते समय (गहरी जुताई)। बुवाई से ठीक पहले, या बुवाई के बाद निराई के लिए (हल्की जुताई)।
फायदे फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाता है। मिट्टी को वायु-संचारित (Aeration) करता है और खरपतवार हटाता है।

निष्कर्ष: अगर आपको ज़मीन को गहराई से तैयार करना है और मिट्टी के ढेले तोड़ने हैं, तो रोटावेटर इस्तेमाल करें। अगर सिर्फ ऊपरी परत को ढीला करना है, तो कल्टीवेटर

4. कृषि उपकरणों पर सरकार क्या सब्सिडी देती है और इसके लिए कैसे आवेदन करें?

भारत सरकार और राज्य सरकारें ‘कृषि यंत्रीकरण’ (Farm Mechanization) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाती हैं:

  • प्रमुख योजनाएँ: सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन (SMAM), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और राज्य-विशिष्ट योजनाएँ (जैसे किसान ट्रैक्टर योजना)।
  • सब्सिडी दर: यह आमतौर पर उपकरण और किसान श्रेणी (एससी/एसटी या सामान्य) के आधार पर 20% से 50% तक होती है।
  • आवेदन प्रक्रिया:
    1. अपने राज्य के कृषि विभाग या उद्यानिकी विभाग (Horticulture Department) की ऑनलाइन पोर्टल पर जाएँ।
    2. उपकरण का चयन करें और ज़रूरी दस्तावेज़ (ज़मीन के कागज़ात, आधार कार्ड, बैंक पासबुक) अपलोड करें।
    3. आमतौर पर, आवेदन मंज़ूर होने के बाद आपको डीलर से उपकरण खरीदना होता है, और सब्सिडी राशि आपके खाते में आती है।

5. खेती में सीड ड्रिल (Seed Drill) का उपयोग क्यों जरूरी है?

सीड ड्रिल (बीज बुवाई यंत्र) का उपयोग इसलिए ज़रूरी है क्योंकि यह उत्पादकता की नींव रखता है।

  • सटीक बुवाई: यह सुनिश्चित करता है कि बीज एक समान गहराई (Uniform Depth) पर और समान दूरी (Uniform Spacing) पर गिरें।
  • बीज और खाद की बचत: हाथ से बुवाई करने पर बीज बर्बाद होते हैं और खाद का वितरण असमान होता है। सीड ड्रिल इसे 15-20% तक बचाता है।
  • बेहतर फसल: जब बीज सही दूरी पर होते हैं, तो हर पौधे को पर्याप्त सूर्य की रोशनी, पानी और पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे पौधे स्वस्थ होते हैं और उपज बढ़ती है।

यह आपकी बुवाई को ‘अंदाज़े’ से निकालकर ‘विज्ञान’ पर आधारित करता है।

6. हार्वेस्टर (Harvester) और थ्रेशर (Thresher) में क्या फर्क होता है?

यह अक्सर भ्रम पैदा करता है, लेकिन दोनों के काम में स्पष्ट अंतर है:

  • हार्वेस्टर (Combine Harvester): यह एक संयुक्त मशीन है। यह खेत में खड़ी फसल को काटता (Reap), अनाज को अलग करता (Thresh) और भूसे से साफ़ (Winnow) भी करता है—यह तीनों काम एक साथ करता है। यह बड़े खेतों के लिए उपयुक्त है।
  • थ्रेशर (Thresher): यह एक सिंगल-फंक्शन मशीन है। इसका काम सिर्फ कटी हुई फसल (जैसे कटाई के बाद के गट्ठे) से अनाज को भूसी और डंठल से अलग करना है। यह कटाई का काम नहीं करता।

एनालॉजी: हार्वेस्टर एक ‘ऑल-इन-वन प्रिंटर’ है, जबकि थ्रेशर सिर्फ ‘स्कैनर’ है।

7. सिंचाई के लिए सबसे प्रभावी और जल बचाने वाला आधुनिक उपकरण कौन सा है?

सिंचाई के लिए सबसे प्रभावी और जल बचाने वाला उपकरण निस्संदेह ड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation System) है।

  • जल दक्षता (Water Efficiency): ड्रिप सिस्टम 70% तक पानी बचाता है, जो पारंपरिक बाढ़ सिंचाई से कहीं ज़्यादा है।
  • काम करने का तरीका: यह पानी को सीधे पौधे की जड़ (Root Zone) में बूँद-बूँद करके पहुँचाता है, जिससे वाष्पीकरण (Evaporation) के कारण होने वाला नुकसान लगभग शून्य हो जाता है।
  • अतिरिक्त लाभ: यह फर्टिगेशन (Fertigation) यानी पानी के साथ घुलनशील उर्वरक देने की सुविधा भी देता है, जिससे खाद की बर्बादी भी रुकती है।

सूखे या जल-संकट वाले क्षेत्रों के लिए ड्रिप इरिगेशन किसी वरदान से कम नहीं है।

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