Superwood: स्टील से 10 गुना मज़बूत, 6 गुना हल्की लकड़ी! बिल्डिंग में क्रांति
नई दिल्ली: कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा जादुई मटीरियल (Material) ईजाद कर लिया है जो न सिर्फ स्टील से कई गुना मज़बूत है, बल्कि उससे छह गुना हल्का भी है. इस चमत्कारी पदार्थ को नाम दिया गया है ‘Superwood’ यानी ‘सुपरलकड़ी’. यह न किसी धातु से बना है और न ही कोई सिंथेटिक एलॉय है; यह तो हमारी सदियों पुरानी बिल्डिंग सामग्री, असली लकड़ी, का एक नया और क्रांतिकारी रूप है.
इस खोज से यह उम्मीद जगी है कि भविष्य में गगनचुंबी इमारतें, मजबूत फर्नीचर, और यहाँ तक कि पुल भी स्टील और कंक्रीट के बजाय लकड़ी से बन सकते हैं, और वो भी पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाकर. यह टेक्नोलॉजी Superwood को सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक ग्रीन रेवोल्यूशन (Green Revolution) का सिम्बल बनाती है.
Superwood कैसे बनी? प्रोफेसर हू की 10 साल की तपस्या
इस अभूतपूर्व इनोवेशन के पीछे हैं येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लियांगबिंग हू (Liangbing Hu). करीब एक दशक पहले, प्रोफेसर हू ने ठान लिया था कि इंसान की सबसे पुरानी और सबसे भरोसेमंद बिल्डिंग सामग्री – लकड़ी – को एक नया जीवन देना है. उन्होंने लकड़ी की आंतरिक (Internal) संरचना, खास तौर पर ‘सेलुलोज स्ट्रक्चर’ (Cellulose Structure) पर काम शुरू किया. सेलुलोज, जो पौधों का मुख्य घटक है और धरती पर सबसे अधिक पाया जाने वाला बायो-पॉलीमर (Biopolymer) है, उसी को प्रोफ़ेसर हू ने अपना ‘कच्चा माल’ बनाया.
प्रोफेसर हू की टीम ने एक ऐसी रासायनिक प्रक्रिया विकसित की जो लकड़ी की प्राकृतिक संरचना को रीइंजीनियर कर देती है. 2017 में उन्हें बड़ा ब्रेकथ्रू मिला जब उन्होंने कुछ ख़ास रसायनों और पानी में लकड़ी को उबालकर, उसकी कोशिकाओं को लगभग पूरी तरह से कंप्रेस (Compress) कर दिया.
यह प्रक्रिया एक हफ्ते तक चलती है, जिसमें पहले लकड़ी को पानी और विशेष केमिकल्स के मिश्रण में उबाला जाता है ताकि लिग्निन (Lignin) और हेमिकेलुलोज (Hemicellulose) जैसे पदार्थ हटाए जा सकें. इसके बाद, हाई-प्रेशर और हाई-टेंपरेचर पर ‘हॉट-प्रेसिंग’ की जाती है. इस हॉट-प्रेसिंग से लकड़ी की कोशिकाएँ सिकुड़कर एक बेहद घनी, ठोस और लगभग गैर-छिद्रयुक्त (Non-Porous) संरचना में बदल जाती हैं.
नतीजा? एक ऐसा मटीरियल जो दिखने में तो सामान्य लकड़ी जैसा लगता है, लेकिन सामान्य स्टील से 10 गुना ज्यादा मज़बूत और 6 गुना हल्का है.

निर्माण जगत में क्रांति: भूकंप-रोधी और टिकाऊ समाधान
Superwood को बनाने वाली अमेरिकी कंपनी है InventWood. कंपनी के CEO एलेक्स लाऊ (Alex Lou) का दावा है कि इस मटीरियल की मजबूती और डेंसिटी इसे किसी भी पारंपरिक मटीरियल से बेहतर बनाती है.
लाऊ के मुताबिक, अगर बिल्डिंग्स Superwood से बनती हैं, तो वे मौजूदा ढाँचों के मुकाबले चार गुना हल्की होंगी. ज़रा सोचिए, इसका कितना बड़ा फ़ायदा होगा!
- फाउंडेशन पर कम दबाव: इमारत हल्की होने से फाउंडेशन (नींव) पर लोड कम होगा, जिससे निर्माण की लागत और समय दोनों घटेंगे.
- बेहतर भूकंप-रोधी क्षमता: कम वज़न का मतलब है कम जड़ता (Inertia). भूकंप के दौरान इमारत पर कम फोर्स लगेगा, जिससे वह ज्यादा भूकंप-रोधी (Earthquake-Resistant) बनेगी.
- लचीलापन (Flexibility): भले ही यह मज़बूत है, लेकिन लकड़ी होने के कारण इसमें स्टील और कंक्रीट की तरह टूटने के बजाय लचीलापन होगा, जो इसे आपदाओं में सुरक्षित रखेगा.
कंपनी फिलहाल Superwood का इस्तेमाल डेकिंग (Decking), क्लैडिंग (Cladding) और इमारतों के बाहरी हिस्सों में करने पर फोकस कर रही है. अगले साल तक इसे फ्लोरिंग, वॉल पैनलिंग और फर्नीचर में भी लाने की योजना है. यह उन यूज़र्स के लिए गेम-चेंजर साबित होगा जो अक्सर फर्नीचर के जल्दी टूट जाने की शिकायत करते हैं, क्योंकि यह लकड़ी धातु के जॉइंट्स, स्क्रू और कील तक को रिप्लेस करने की क्षमता रखती है.

मज़बूती, डेंट-रेसिस्टेंस और आग से सुरक्षा
Superwood के जो दावे किए जा रहे हैं, वे सचमुच चौंकाने वाले हैं:
- सामान्य लकड़ी से 20 गुना ज्यादा मज़बूत.
- 10 गुना ज्यादा डेंट-रेसिस्टेंट (Dents Resistant).
- कीड़े, फफूंदी और आग से सुरक्षित: हॉट-प्रेसिंग प्रक्रिया से लकड़ी की प्राकृतिक छिद्रयुक्त संरचना (Porous Structure) को पूरी तरह दबा दिया गया है, जिससे नमी और कीड़ों के लिए कोई जगह नहीं बचती. फायर टेस्ट (Fire Test) में भी इसे सबसे ऊंची रेटिंग मिली है, जो इसकी सुरक्षा को साबित करता है.
पर्यावरण पर असर: क्यों यह ग्रीन कंस्ट्रक्शन का भविष्य है?
आज दुनिया में होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) का लगभग 7% हिस्सा केवल कंक्रीट के उत्पादन से आता है. ऐसे में, Superwood जैसी सामग्री सिर्फ मज़बूती नहीं देती, बल्कि ‘ग्रीन कंस्ट्रक्शन रेवोल्यूशन’ की दिशा भी तय करती है.
हालाँकि Superwood का निर्माण पारंपरिक लकड़ी से महंगा है और इसका कार्बन फुटप्रिंट भी सामान्य लकड़ी से थोड़ा ज्यादा हो सकता है, लेकिन इसकी तुलना स्टील से होनी चाहिए. InventWood का दावा है कि स्टील के मुकाबले Superwood के निर्माण में 90% कम कार्बन उत्सर्जन होता है.
ऑस्ट्रेलिया के आर्किटेक्चर प्रोफेसर फिलिप ओल्डफील्ड (Phillip Oldfield) का एक बड़ा तर्क है: “लकड़ी एक प्राकृतिक कार्बन स्टोरेज सिस्टम (Carbon Storage System) है. जब हम लकड़ी से बिल्डिंग बनाते हैं, तो वह कार्बन दशकों तक उस इमारत में ‘बंद’ रहता है.” यानी, हम न सिर्फ कम कार्बन का उपयोग करते हैं, बल्कि वातावरण से कार्बन सोखकर उसे स्टोर भी कर रहे होते हैं.
पारंपरिक इंजीनियर वुड से Superwood कैसे अलग है?
कंस्ट्रक्शन में पहले से ही ‘इंजीनियर्ड वुड’ का इस्तेमाल हो रहा है, जैसे कि प्लाईवुड (Plywood) या ग्लूलैम (Glulam). पर Superwood उनसे मौलिक रूप से अलग है.
पारंपरिक इंजीनियर्ड वुड में लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक मजबूत एडहेसिव (Adhesive) या गोंद से चिपकाकर एक बड़ा पैनल बनाया जाता है. यह एक बाहरी (External) या मैक्रो-लेवल (Macro-Level) का इंजीनियरिंग है.
लेकिन Superwood को आणविक स्तर (Molecular Level) पर बदला गया है. यहाँ कोई अतिरिक्त ग्लू या सिंथेटिक बाइंडर नहीं मिलाया गया. रासायनिक प्रक्रिया से लकड़ी की अपनी ही आंतरिक संरचना को कंप्रेस करके उसकी ताकत कई गुना बढ़ाई गई है. यह तकनीक न सिर्फ इसकी मज़बूती बढ़ाती है, बल्कि पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को भी कम करती है क्योंकि इसमें सिंथेटिक रेजिन (Synthetic Resins) की ज़रूरत नहीं पड़ती.
InventWood का अगला बड़ा लक्ष्य है पूरी की पूरी इमारतों को इस सुपरवुड से बनाना. इस पर अभी भी रिसर्च और कठोर सेफ्टी टेस्ट (Safety Test) चल रहे हैं, लेकिन अगर यह सफल होता है, तो यह कंक्रीट और स्टील के प्रभुत्व वाले कंस्ट्रक्शन इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा.
Summary and Key Takeaways
Superwood अमेरिकी साइंटिस्ट्स की एक ऐसी खोज है जो बिल्डिंग और फर्नीचर इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है.
- ताकत और वज़न: यह स्टील से 10 गुना मज़बूत और 6 गुना हल्की है.
- आधार: यह किसी धातु या एलॉय से नहीं, बल्कि लकड़ी के सेलुलोज स्ट्रक्चर को आणविक स्तर पर कंप्रेस करके बनाई गई है.
- फायदे: Superwood से बनी इमारतें भूकंप-रोधी होंगी, फाउंडेशन पर कम दबाव पड़ेगा, और यह दीमक, फफूंदी तथा आग से भी सुरक्षित है.
- पर्यावरण: स्टील के मुकाबले 90% कम कार्बन उत्सर्जन इसे ग्रीन कंस्ट्रक्शन का भविष्य बनाता है.
- व्यावसायिकता: InventWood कंपनी इसे कमर्शियल स्केल पर ला रही है, जिसकी शुरुआत डेकिंग और क्लैडिंग से होगी.
यह तकनीक एक बार फिर साबित करती है कि प्रकृति में मौजूद साधारण चीजें भी आधुनिक विज्ञान की मदद से असाधारण बन सकती हैं, और टिकाऊ भविष्य की राह दिखा सकती हैं.

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