Jaipur: ब्लैकमेलिंग के आरोप में पत्रकार सहित 2 गिरफ्तार! नेगेटिव न्यूज़ का धंधा?

By
On:
Follow Us
5/5 - (1 vote)

Jaipur News: ‘नेगेटिव न्यूज़’ का खेल: जयपुर में पत्रकार समेत 2 गिरफ्तार, वसूली और ब्लैकमेलिंग का सनसनीखेज आरोप

देखिए, ख़बरों की दुनिया में मैंने अपने 10 साल से ज़्यादा का करियर बिताया है, और इस दौरान मैंने पत्रकारिता की शक्ति और उसके दुरुपयोग, दोनों को करीब से देखा है। जब पत्रकारिता जैसे ज़िम्मेदार पेशे से जुड़े किसी व्यक्ति पर ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली जैसे गंभीर आरोप लगते हैं, तो यह सिर्फ एक खबर नहीं रहती; यह एक गंभीर चिंता का विषय बन जाती है कि क्या कुछ लोग टीआरपी (TRP) या पावर का इस्तेमाल गलत कामों के लिए कर रहे हैं।

आज बात जयपुर की है, जहां एक ऐसी ही चौंकाने वाली घटना सामने आई है जिसने मीडिया जगत में भूचाल ला दिया है।

आखिर क्या है पूरा मामला?

राजधानी जयपुर की अशोक नगर थाना पुलिस ने एक निजी इलेक्ट्रॉनिक चैनल से जुड़े रहे एक पूर्व पत्रकार सहित दो लोगों को धर दबोचा है। इन पर सीधा और गंभीर आरोप है – ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली (Blackmailing and Extortion) का।

मामले की तहकीकात से जो बातें सामने आई हैं, वो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं हैं। ये दोनों आरोपी मिलकर, नकारात्मक खबरें प्रसारित करने की धमकी देकर, व्यावसायिक संस्थाओं और कंपनियों को निशाना बनाते थे।

कैसे शुरू हुआ ‘वसूली’ का यह खेल?

इस पूरे खेल का खुलासा तब हुआ जब स्वयं उस निजी चैनल ने, जिसके लिए आरोपी काम करते थे, पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। चैनल के राजस्थान हेड रहे आशीष दवे पर चैनल के नाम का दुरुपयोग कर ब्लैकमेलिंग और अवैध वसूली करने का आरोप लगाते हुए अशोक नगर थाने में मामला दर्ज कराया गया।

ACP (अशोक नगर) बालाराम जी ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान राम सिंह राजावत (निवासी प्रताप नगर) और जितेंद्र शर्मा (निवासी वैशाली नगर) के तौर पर हुई है।

  • राम सिंह राजावत का मुख्य काम था ‘हथियार’ तैयार करना—यानी नकारात्मक खबरें बनाना और उन्हें प्रसारित करने की धमकियाँ देना। पुलिस की जांच में सामने आया है कि राम सिंह ने 250 से भी ज़्यादा बार इसी तरह की खबरें प्रसारित करने की धमकियाँ दी थीं।
  • जबकि जितेंद्र शर्मा, इस पूरे ‘ऑपरेशन’ में वसूली का काम देखता था।

Lucknow LDA Housing Scheme: पॉश डालीबाग में सिर्फ 10 लाख में फ्लैट

‘नेगेटिव न्यूज़’ का डर दिखाकर करते थे ब्लैकमेल

आप सोचिए, किसी भी बिज़नेस या संस्था के लिए प्रतिष्ठा कितनी मायने रखती है। एक नकारात्मक खबर, खासकर आज के डिजिटल युग में, रातों-रात सालों की कमाई हुई साख (Reputation) को मिट्टी में मिला सकती है।

निजी चैनल के अधिकृत प्रतिनिधि, संजू राज, ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि आशीष दवे चैनल के नाम और उसकी विश्वसनीयता का गलत फायदा उठा रहे थे। वो विभिन्न संस्थाओं से पैसों की मांग करते थे, और अगर उनकी यह ‘मांग’ पूरी नहीं होती थी, तो उन्हें चैनल और उसके डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ‘नकारात्मक खबरें’ प्रसारित करने की धमकी दी जाती थी।

धमकी का नतीजा: प्रतिष्ठा को नुकसान

सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यह सिर्फ धमकी तक ही सीमित नहीं रहा। जब संस्थाओं ने उनकी मांगें पूरी नहीं कीं, तो नकारात्मक कंटेंट को चैनल और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बकायदा प्रसारित किया गया।

परिणाम? आम जनता में भ्रम फैला। इससे सिर्फ उन संस्थाओं को ही नहीं, बल्कि उस निजी चैनल को भी आर्थिक और प्रतिष्ठात्मक (Reputational) नुकसान उठाना पड़ा, जिसका नाम इस्तेमाल किया गया था। यह साफ़ तौर पर दिखाता है कि कैसे कुछ लोगों की लालच, पूरी मीडिया बिरादरी की छवि को धूमिल कर सकती है।

jaipur

दस करोड़ का आलीशान घर और Zee चेयरमैन की शिकायतें

इस मामले में सबसे सनसनीखेज जानकारी चैनल के पूर्व हेड, आशीष दवे, से जुड़ी है। दवे पिछले करीब ढाई साल से Zee राजस्थान के चैनल हेड के पद पर कार्यरत थे।

जरा इस पहलू पर गौर करें:

  1. लगातार शिकायतें: चैनल के चेयरमैन, सुभाष चंद्रा, को दवे के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं। यह शायद अंदरूनी कलह या संदिग्ध गतिविधियों की ओर पहले से ही इशारा कर रहा था।
  2. करोड़ों का निवेश: दवे पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली से कमाई गई राशि का इस्तेमाल कर वह जयपुर एयरपोर्ट के पास दस करोड़ रुपये की लागत से एक आलीशान घर बनवा रहे थे।

यह जानकारी एक ‘एक्सपर्ट नोट’ देती है—जबरन वसूली जैसे अवैध तरीकों से अकूत संपत्ति बनाने की यह कहानी, अब पुलिस जांच के दायरे में है। पुलिस अब इन पैसों के स्रोत और पूरे वसूली रैकेट की कड़ियों को धीरे-धीरे सुलझाएगी। मुझे उम्मीद है कि सच सामने आएगा और दोषी को सज़ा मिलेगी।

ITR Refund: क्या TDS काटा गया पैसा वापस मिल सकता है? जानें टीडीएस रिफंड (TDS Refund) की पूरी प्रक्रिया

FAQ Section (पूछे जाने वाले सवाल)

Q1: ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली में क्या अंतर है?

जवाब: दोनों में अंतर है, लेकिन ये अक्सर साथ-साथ चलते हैं। ब्लैकमेलिंग तब होती है जब कोई आपकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाली गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने की धमकी देकर आपसे कुछ मांगता है। जबकि जबरन वसूली (Extortion) में किसी को शारीरिक नुकसान या गंभीर कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर अवैध तरीके से पैसा या संपत्ति हासिल करना शामिल हो सकता है। इस मामले में ‘नकारात्मक खबर’ प्रसारित करने की धमकी देना ब्लैकमेलिंग है, और इसके बदले पैसा मांगना जबरन वसूली है।

Q2: आरोपियों पर कौन-सी कानूनी धाराएं लगाई गई हैं?

जवाब: हालांकि लेख में धाराओं का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली के मामलों में आमतौर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली) और 385 (चोट पहुँचाने के भय में डालकर जबरन वसूली का प्रयास) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। धमकी देने के लिए धारा 506 भी जोड़ी जा सकती है।

Q3: क्या किसी चैनल का नाम इस्तेमाल करना ही अपराध है?

जवाब: जी हाँ, बिल्कुल। किसी संस्था के नाम, लोगो या विश्वसनीयता का इस्तेमाल करके अवैध गतिविधियों को अंजाम देना एक गंभीर अपराध है। इसे नाम के दुरुपयोग (Misuse of Identity) के साथ-साथ धोखाधड़ी (Cheating) के तौर पर भी देखा जाता है। निजी चैनल ने स्वयं इसी आधार पर शिकायत दर्ज कराई थी कि दवे ने उनकी प्रतिष्ठा का गलत इस्तेमाल किया।

Q4: किसी बिज़नेस को ब्लैकमेलिंग की धमकी मिले तो उसे क्या करना चाहिए?

जवाब: सबसे पहले, घबराएँ नहीं। कोई भी भुगतान न करें। सभी संचार (ईमेल, मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग) का रिकॉर्ड रखें। तुरंत अपने कानूनी सलाहकार से बात करें और स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएं। साक्ष्य (Evidence) जमा करना बहुत ज़रूरी है।

एक्सपर्ट चेकलिस्ट: मीडिया में ब्लैकमेलिंग से बचने के लिए क्या करें?

एक संस्था या व्यक्ति के तौर पर, आपको मीडिया की धमकी से खुद को बचाने के लिए ये कदम उठाने चाहिए। यह मेरी 20 साल की एक्सपर्ट सलाह है:

कदम विवरण
शांत रहें और रिकॉर्ड करें धमकी मिलने पर शांत रहें। सभी बातचीत (कॉल, मैसेज, मीटिंग) को रिकॉर्ड या डॉक्यूमेंट करें। सबूत सबसे ज़रूरी है।
कोई पेमेंट न करें ब्लैकमेल करने वालों को पैसे देना उन्हें और बढ़ावा देना है। कभी भी भुगतान न करें।
आंतरिक जांच करें (अगर संस्था है) जाँच करें कि क्या आपके अंदरूनी स्टाफ में से कोई व्यक्ति ‘लीक’ या ‘सूचना’ दे रहा है।
कानूनी सलाह लें तुरंत एक अनुभवी मीडिया लॉयर (Media Lawyer) से संपर्क करें। वे सही कानूनी रास्ता बताएँगे।
शिकायत दर्ज करें स्थानीय पुलिस स्टेशन, खासकर साइबर क्राइम सेल में, तुरंत शिकायत दर्ज करें।
कंटेंट को ट्रैक करें अगर नेगेटिव खबर पब्लिश हो गई है, तो उस खबर के URL, स्क्रीनशॉट और पब्लिश होने की तारीख का रिकॉर्ड रखें।
जनसंपर्क (PR) सक्रिय करें अपनी सकारात्मक छवि को मजबूत करने के लिए एक मजबूत PR रणनीति पर काम करें।

Conclusion

यह घटना एक कड़वा सबक सिखाती है कि कैसे सत्ता (Power) और जिम्मेदारी का दुरुपयोग किया जा सकता है। पत्रकारिता, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, और इसमें इस तरह की अवैध गतिविधियाँ पूरी बिरादरी के लिए शर्मनाक हैं। हमें उम्मीद है कि पुलिस इस मामले की पूरी और पारदर्शी जांच करेगी, ताकि न्याय हो और भविष्य में इस तरह की ‘नेगेटिव न्यूज़’ की आड़ में होने वाली जबरन वसूली पर रोक लग सके।

आपका क्या सोचना है? क्या इस तरह के मामलों में मीडिया संस्थानों को भी अपने आंतरिक कर्मचारियों पर और कड़ी निगरानी रखनी चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएँ और इस ज़रूरी जानकारी को दूसरों तक पहुँचाने के लिए शेयर करें।

click here

India’s No. #10 Hindi news website – Deshtak.com

(देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले पढ़ें Deshtak.com पर , आप हमें FacebookTwitterInstagram , LinkedIn और  Youtube पर फ़ॉलो करे)

DeshTak

DeshTak.com – Desh ki Baat, Sidhe Aap Tak DeshTak.com is a reliable and fast digital news platform dedicated to bringing every important news of the country and the world straight to you. Here you get breaking news, real-time updates, and in-depth analytical reporting - that too in both Hindi and English. From politics to technology, entertainment to sports and global events, DeshTak provides verified, unbiased content on every topic. Our aim is to give you fast, accurate and reliable information - so that you stay connected with every news, from anywhere.

For Feedback - deshtak3@gmail.com
Join Our WhatsApp Channel

Leave a Comment