AI से बने अश्लील वीडियो का नया धंधा, इंस्टाग्राम-यूट्यूब पर बाढ़, भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स कर रहे करोड़ों की कमाई
AI Generated videos: सोशल मीडिया पर अश्लीलता का नया चेहरा अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर धड़ल्ले से ऐसे वीडियो फैल रहे हैं, जिनमें रिपोर्टर, टीचर, पॉडकास्टर और यहाँ तक कि बच्चों के AI वर्जन को भी अश्लील हरकतों और भद्दे मज़ाक में दिखाया जा रहा है। कुछ ही महीनों में ये अकाउंट्स लाखों फॉलोअर्स और करोड़ों व्यूज कमा रहे हैं, जिससे कंटेंट क्रिएटर्स को मोटी कमाई हो रही है।
क्या आपने कभी किसी बिकिनी पहनी रिपोर्टर को भीड़भाड़ वाले बाज़ार में घूमते और लोगों से भद्दी-अश्लील बातें करते देखा है? या किसी छोटे कपड़ों वाली पॉडकास्टर को जो दादी-नानी जैसी उम्र की महिला के साथ सेक्स और डार्क फैंटेसी पर डिस्कशन कर रही हो? या किसी टीचर को जो अपने नाबालिग स्टूडेंट्स के साथ सेक्स जोक्स कर रहा हो? सुनने में अजीब लगता है, लेकिन अब ऐसा हो रहा है।
कंटेंट क्रिएटर्स अब सोशल मीडिया एंगेजमेंट बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर ऐसे वीडियो बना रहे हैं जो असलियत से मिलते-जुलते हैं। इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने पाया कि इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ऐसा कंटेंट तेजी से वायरल हो रहा है और कुछ ही दिनों में ऐसा एंगेजमेंट ला रहा है, जो आम क्रिएटर्स के लिए किसी सपने से कम नहीं है। इस तरह के वीडियो को ‘वल्गर’ और ‘अश्लील’ करार दिया गया है और इसी साल की शुरुआत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संसद को बताया था कि कम से कम 43 ओटीटी ऐप्स, जो ऐसा कंटेंट बाँट रहे थे, उन्हें बैन किया गया है। हमने ऐसे दो दर्जन से ज्यादा इंस्टाग्राम अकाउंट और यूट्यूब चैनल रिव्यू किए, जो बड़े पैमाने पर AI से बने अश्लील वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। इन वीडियो में सेक्स से जुड़ी बातें, मज़ाक, प्राइवेट पार्ट्स को लेकर डायलॉग और जोक्स शामिल होते हैं।

व्यूज के लिए परोसी जा रही अश्लीलता
इन वीडियो में दिखाए गए AI अवतारों के बीच उम्र का गैप चौंकाने वाला है। अक्सर इनमें एक कैरेक्टर 20 की उम्र का होता है और दूसरा 70 या 80 का। यहाँ तक कि स्कूली लड़कियों और छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ा गया। कई वीडियो में नाबालिग बच्चों से जबरन सेक्सुअल लाइंस और जोक्स कहलवाए जाते हैं। कई बार कंटेंट लंबे-लंबे अश्लील सीक्वेंस तक जाता है, जिनमें न्यूडिटी भी शामिल होती है। कुछ क्रिएटर्स इससे भी आगे बढ़कर ऐसे हाइली ग्राफिक AI वीडियो बना रहे हैं, जिनमें पब्लिक प्लेसेज पर सेक्सुअल एक्टिविटी दिखाई जाती है ताकि ऑडियंस की बढ़ती ‘एक्सट्रीम फैंटेसी’ को पूरा किया जा सके। सिर्फ अवतार ही नहीं, कई क्रिएटर्स बॉलीवुड एक्ट्रेसेस जैसी दिखने वाली AI इमेज भी बना रहे हैं।
इंस्टाग्राम पर एक ऐसा ही अकाउंट है AI Wi… जिसके 5.82 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। इसकी फीड में महिलाओं की हाइपर-सेक्शुअलाइज्ड AI तस्वीरें भरी हैं। इनमें महिलाएँ छोटी-छोटी ड्रेस में ऐसे रोल्स में दिखाई जाती हैं जो भारतीय ऑडियंस को तुरंत पहचान में आ जाएं, जैसे कपड़े धोना, झाड़ू लगाना, क्लासरूम में पढ़ाना, किचन में खाना बनाना या कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करना। ये अकाउंट्स लाखों फॉलोअर्स और सब्सक्राइबर्स जुटा रहे हैं और कुछ ही महीनों में करोड़ों व्यूज पा रहे हैं। एक यूट्यूब चैनल, जो 3 अगस्त 2025 को बनाया गया था, अब तक 12 करोड़ से ज्यादा व्यूज ले चुका है। इसके कई AI शॉर्ट्स को 2-2 करोड़ व्यूज मिले हैं।
AI से पैसा कमाने का नया तरीका
ये वीडियो सिर्फ एंटरटेनमेंट या सोशल मीडिया एंगेजमेंट के लिए नहीं, बल्कि कमाई का जरिया भी हैं। ऐसे वीडियो बनाने वाले अकाउंट्स प्रीमियम कंटेंट सब्सक्रिप्शन बेचते हैं, 15 मिनट की वीडियो कॉल पर मार्केटिंग टिप्स देते हैं और यहाँ तक कि ऐसे AI वीडियो बनाने के कोर्स भी बेचते हैं। जैसे Kaka Sharma नाम का अकाउंट ₹499 में 15 मिनट की वीडियो कॉल ऑफर करता है, वहीं Z Wali Didi जेनरेटिव AI से पैसे कमाने का कोर्स बेचती हैं। कुछ अकाउंट्स फिक्स फीस लेकर क्लोज्ड ऑनलाइन ग्रुप्स में एक्सेस देते हैं।
इन वीडियो को बनाने के लिए क्रिएटर्स एडवांस्ड फ्री और पेड AI टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। कई वीडियो पर Google Veo का वॉटरमार्क दिखा, जो टेक्स्ट-टू-वीडियो मॉडल है और बेहद रियल विजुअल्स बना सकता है। कुछ वीडियो Tensor Art नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से बनाए गए हैं, जो इमेज-टू-इमेज, टेक्स्ट-टू-इमेज और टेक्स्ट-टू-वीडियो जेनरेशन सपोर्ट करता है। ये जानकारी एक टेलीग्राम ग्रुप के एडमिन ने अपने 1300 से ज्यादा मेंबर्स को दी।
असली दुनिया पर खतरा और कानूनी पहलू
रिसर्चर्स का कहना है कि इस तरह के कंटेंट के ज्यादा एक्सपोजर से बच्चों और युवाओं के व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। ये सेक्स को लेकर गलत और विकृत धारणा बना सकते हैं। साल 2024 में नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया कि इंस्टाग्राम बच्चों की फीड में सेक्सुअली सजेस्टिव कंटेंट भर रहा था। रिसर्चर्स ने यह जाँच 13 साल की उम्र सेट किए गए इंस्टाग्राम अकाउंट्स बनाकर की थी। इस तरह के विकृत सेक्स पोर्ट्रेयल से प्रीमैच्योर और रिस्की सेक्सुअल बिहेवियर, एंग्जायटी, डिप्रेशन और बॉडी डिसैटिस्फैक्शन जैसे खतरे पैदा हो सकते हैं। साथ ही युवाओं में रिश्तों, कंसेंट और सेक्सुएलिटी को लेकर गलत और अस्वस्थ रवैया भी विकसित हो सकता है।
कानून क्या कहता है? 2024 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में कहा था कि 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अश्लील और भद्दे कंटेंट के लिए बैन किया गया था। ये कार्रवाई IT एक्ट, Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986 और IPC की धाराओं के तहत हुई थी। लेकिन भारतीय इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट रेगुलेशन में अभी भी कई कमियाँ हैं। अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन अश्लीलता पर रोक लगाने के लिए नए कानून की जरूरत है। भारत में AI से बने अश्लील कंटेंट को रेगुलेट करने वाला कोई अलग कानून अभी नहीं है। इसी महीने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार डीपफेक कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए नया कानून लाने पर विचार कर रही है। इंडिक पैसिफिक लीगल रिसर्च के फाउंडर अभिवर्धन का कहना है कि इस वक्त भारत में IT एक्ट, 2000 और भारतीय न्याय संहिता जैसी कुछ धाराओं को मिलाकर ही ऐसे कंटेंट पर कार्रवाई होती है। 2021 के IT रूल्स का नियम 3(1)(b) कहता है कि प्लेटफॉर्म्स को अश्लील या पोर्नोग्राफिक कंटेंट रोकना होगा और यूजर्स की प्राइवेसी सुरक्षित करनी होगी। इसमें AI से बना कंटेंट भी आता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. AI-जनरेटेड अश्लील वीडियो क्या होते हैं?
ये ऐसे वीडियो होते हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं। इनमें अक्सर असली लोगों के चेहरों को उनकी बिना सहमति के किसी अश्लील या आपत्तिजनक सीन में दिखाया जाता है।
2. ये वीडियो मुख्य रूप से कहाँ फैल रहे हैं?
ये वीडियो मुख्य रूप से इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैल रहे हैं। इनका मकसद कम समय में ज्यादा व्यूज और फॉलोअर्स बटोरना होता है।
3. क्या ये वीडियो भारत में ही बन रहे हैं?
हाँ, रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कंटेंट क्रिएटर्स इस तरह के वीडियो बनाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं और इनके जरिए करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। कई अकाउंट्स भारतीय यूजर्स को टार्गेट करते हैं।
4. ऐसे कंटेंट को लेकर कानून क्या कहता है?
भारत में IT एक्ट, 2000 के तहत प्लेटफॉर्म्स को अश्लील कंटेंट हटाने के लिए बाध्य किया गया है। इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता और Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986 जैसी धाराओं के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।
5. AI वीडियो से समाज पर क्या खतरा है?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इन वीडियो से खासकर बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यह रिश्तों, सहमति और सेक्सुअलिटी को लेकर गलत धारणाएँ पैदा कर सकता है।
6. क्या डीपफेक और AI-जनरेटेड वीडियो एक ही चीज़ हैं?
डीपफेक एक तरह का AI-जनरेटेड वीडियो है, लेकिन AI-जनरेटेड वीडियो में सिर्फ चेहरा ही नहीं, बल्कि पूरा कैरेक्टर और सीन भी AI से बनाया जा सकता है। दोनों ही असलियत को विकृत करके पेश करते हैं।
7. सरकार इस पर क्या कदम उठा रही है?
सरकार ने पहले ही कई ओटीटी ऐप्स को बैन किया है और अब डीपफेक व AI से बने आपत्तिजनक कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है।
8. क्या AI से अश्लील वीडियो बनाना आसान है?
हाँ, कई फ्री और पेड AI टूल्स की मदद से हाइपर-रियलिस्टिक अश्लील वीडियो बनाना अब बहुत आसान हो गया है। इन वीडियो में असली लोगों के चेहरे और आवाज का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इन्हें पहचानना मुश्किल होता है।
9. AI अश्लील वीडियो से क्रिएटर्स कैसे पैसा कमाते हैं?
क्रिएटर्स इन वीडियो के जरिए लाखों फॉलोअर्स जुटाते हैं और फिर प्रीमियम कंटेंट सब्सक्रिप्शन, मार्केटिंग टिप्स के लिए वीडियो कॉल, और AI वीडियो बनाने के कोर्स बेचकर मोटी कमाई करते हैं।
10. क्या भारत में AI से बने अश्लील कंटेंट पर कोई कानून है?
भारत में AI से बने अश्लील कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए अभी कोई अलग से कानून नहीं है, लेकिन आईटी एक्ट, 2000 और भारतीय न्याय संहिता की कुछ धाराओं के तहत ऐसे कंटेंट पर कार्रवाई की जा सकती है। सरकार जल्द ही डीपफेक को लेकर नया कानून लाने पर विचार कर रही है।