Sanchar Saathi App: हर फोन में होगा ज़रूरी? आपके सवालों के सीधे जवाब

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Sanchar Saathi App: हर फोन में होगा ज़रूरी? आपके सवालों के सीधे जवाब

हाल ही में सरकार ने निर्देश दिया है कि हर नए स्मार्टफोन में [sanchar saathi app] प्री-इंस्टॉल होगा.

यह पहली बार है जब देश में किसी ऐप को इस तरह से हर डिवाइस में स्थायी रूप से रहने की अनुमति दी गई है. इस फ़ैसले ने टेक विशेषज्ञों, डिजिटल अधिकार समूहों और आम यूज़र्स के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

क्या यह क़दम सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की निजता पर असर डालेगा? क्या यह डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन क़ानून की आत्मा से मेल खाता है? क्या दुनिया के दूसरे देशों में भी ऐसी ऐप्स चल रही हैं?

इस तरह के तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए Deshtak ने कई एक्सपर्ट्स से बात की है.

Sanchar Saathi App
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Table of Contents

1. संचार साथी ऐप हर स्मार्टफोन में इंस्टॉल होगा?

भारत सरकार के Department of Telecommunications (DoT) ने 28 नवंबर को यह निर्देश जारी किया है.

इसके मुताबिक़ स्मार्टफ़ोन निर्माताओं को मार्च 2026 से बेचे जाने वाले नए मोबाइल फ़ोन में [sanchar saathi app] को प्री-इंस्टॉल करना होगा.

डीओटी ने कहा है कि Smartphone manufacturers इस बात को सुनिश्चित करें कि ऐप को न तो डिसेबल किया जाए और न ही इस पर किसी तरह की पाबंदियां लगें.

साथ ही पुराने फ़ोनों में इसे सॉफ़्टवेयर अपडेट के ज़रिए भेजा जाएगा. फ़ोन बनाने वाली और उन्हें आयात करने वाली कंपनियों को 90 दिन में इस निर्देश का पालन करना है.

2. क्या यूज़र इसे डिलीट या डिसेबल कर सकते हैं?

ऐप को लेकर उठे विवाद के बाद Department of Telecommunications (DoT) ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि संचार साथी ऐप को कभी भी फ़ोन से डिलिट किया जा सकता है.

डिपार्टमेंट ने लिखा, “Sanchar Saathi App को आप जब चाहें डिलीट कर सकते हैं. यह आपके फोन में किसी भी दूसरे ऐप की तरह ही है. इसे अनइंस्टॉल करने का पूरा कंट्रोल आपके हाथ में है. आप अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी इसे हटाने का फ़ैसला ले सकते हैं.”

इससे पहले संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कुछ ऐसा ही स्पष्टीकरण दिया.

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “अगर आप इस ऐप का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, तो रजिस्टर मत करो और डिलीट करना है तो डिलीट कर लो.”

उन्होंने कहा, “लेकिन देश में हर व्यक्ति को नहीं मालूम कि ये ऐप फ्रॉड से बचाने, चोरी से बचाने के लिए है. हर व्यक्ति तक ये ऐप पहुंचाना हमारी ज़िम्मेदारी है.”

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह स्पष्ट किया कि अगर इस ऐप पर ‘आप रजिस्टर करोगे तभी एक्टिव होगा अगर नहीं करोगे तो नहीं होगा.’

वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी का कहना है, “यह एक जासूसी ऐप है…नागरिकों को यह हक़ है कि वे अपने परिवार और दोस्तों को निजी तौर पर बिना सरकार की नज़रों के संदेश भेज सकें.”

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया, “वे हर तरह से इस देश को एक तानाशाही में बदल रहे हैं. संसद इसलिए नहीं चल रही है क्योंकि वे किसी भी मुद्दे पर बात करने से इनकार कर रहे हैं.”

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3. सरकार इसका क्या मक़सद बता रही है?

सरकार का दावा है कि [sanchar saathi app] फ़ोन की सुरक्षा, पहचान की सुरक्षा और डिजिटल ठगी से बचाने का एक आसान और उपयोगी टूल है.

दावा है कि यह फ़ोन के आईएमईआई नंबर, मोबाइल नंबर और नेटवर्क से जुड़ी जानकारी की मदद से ग्राहक की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

जब ग्राहक इस ऐप को फ़ोन में खोलते हैं, तो सबसे पहले यह मोबाइल नंबर मांगता है. नंबर डालने के बाद फ़ोन पर एक ओटीपी आता है, जिसे डालकर फ़ोन इस ऐप से जुड़ जाता है. इसके बाद ऐप फ़ोन के आईएमईआई नंबर को पहचान लेता है.

ऐप आईएमईआई को दूरसंचार विभाग की केंद्रीय सीईआईआर प्रणाली से मिलाता है और यह जांचता है कि फ़ोन की शिकायत चोरी के मामले में दर्ज तो नहीं है या फिर ये ब्लैकलिस्टेड तो नहीं है.

टेक पॉलिसी से जुड़ी वेबसाइट मीडियानामा डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक निखिल पाहवा का मानना है कि यह ऐप फ़ोन को सरकारी ट्रैकर में बदल सकती है.

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4. इसके ख़ास फीचर्स क्या हैं जो आपको पता होने चाहिए? (New Section)

चोरी हुए फ़ोन को ब्लॉक करने के अलावा भी इस ऐप में कुछ ज़रूरी चीज़ें हैं. इसमें ‘TAFCOP’ नाम का एक फीचर है, जो बहुत काम का है.

इसकी मदद से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपकी आईडी पर कितने सिम कार्ड चल रहे हैं. अगर आपको कोई ऐसा नंबर दिखता है जो आपका नहीं है, तो आप वहीं से उसे रिपोर्ट करके बंद भी करवा सकते हैं.

इसके अलावा, इसमें ‘KYM’ (Know Your Mobile) का भी ऑप्शन है. अगर आप कोई पुराना या सेकेंड हैंड फ़ोन खरीद रहे हैं, तो इसके ज़रिए चेक कर सकते हैं कि वो फ़ोन चोरी का तो नहीं है.

5. ऐप कौन-कौन सी परमिशन लेता है?

सरकार के मुताबिक़, संचार साथी ऐप को मोबाइल में ठीक से काम करने के लिए कुछ परमिशन की ज़रूरत होती है.

सरकार का कहना है कि एंड्रॉयड फ़ोन में यह ऐप आपके फ़ोन के नंबर पहचानने के लिए ‘मेक एंड मैनेज फ़ोन कॉल्स’ की अनुमति लेता है.

रजिस्ट्रेशन पूरा करने के लिए ऐप को 14422 नंबर पर एसएमएस भेजना होता है, इसलिए यह ‘सेंड एसएमएस’ परमिशन मांगता है.

अगर आप किसी संदिग्ध कॉल या मैसेज की शिकायत करना चाहें तो इसके लिए ऐप को ‘कॉल एंड एसएमएस लॉग्स’ की ज़रूरत होती है.

इसके अलावा, किसी कॉल या एसएमएस का स्क्रीनशॉट या खोए और चोरी हुए फ़ोन की फ़ोटो अपलोड करने के लिए यह ‘फ़ोटोज और फ़ाइल्स’ तक पहुंच मांगता है.

फ़ोन के आईएमईआई नंबर की असलियत जांचने के लिए ऐप कैमरा से बारकोड स्कैन करता है, इसलिए कैमरा परमिशन ज़रूरी होती है.

सरकार के मुताबिक़, आईफोन में यह ऐप कम परमिशन लेता है. सिर्फ़ तस्वीरें अपलोड करने के लिए फ़ोटोज़ और फ़ाइल्स और आईएमईआई स्कैन करने के लिए कैमरा की परमिशन मांगता है.

सरकार का कहना है कि ये परमिशन ऐप की सुविधाएं चलाने के लिए ज़रूरी हैं, लेकिन प्राइवेसी विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी गहरी पहुंच का दुरुपयोग संभव है.

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6. आपकी निजी जानकारी सुरक्षित रहेगी?

संचार साथी वेबसाइट के मुताबिक़, यह ऐप यूज़र्स की कोई भी जानकारी अपने-आप बिना बताए नहीं लेता है.

अगर ऐप आपसे कोई व्यक्तिगत जानकारी मांगेगा, तो यूज़र्स को पहले बताया जाएगा कि वह किस उद्देश्य से ली जा रही है.

सरकार का कहना है कि ऐप पर दी गई कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं की जाएगी, जब तक कि क़ानून-प्रवर्तन एजेंसियों को क़ानूनी तौर पर इसकी ज़रूरत न हो.

निखिल पाहवा का मानना है, “क़ानूनी तौर पर, आपका मोबाइल फ़ोन आपका पर्सनल स्पेस होता है. यहीं सबसे निजी बातें होती हैं, परिवार, दोस्तों या भरोसेमंद लोगों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा होती है.”

वह कहते हैं, “सवाल यह है कि हम कैसे मान लें कि यह ऐप हमारे फ़ोन की फ़ाइलें, फ़ोटो या मैसेज नहीं देख सकता? या भविष्य के किसी अपडेट में ऐसा न हो?”

साइबर एक्सपर्ट और वकील विराग गुप्ता का कहना है, “अनेक प्रकार का डेटा और उस डेटा के आधार पर लोगों की सारी जानकारियां सरकार के पास आएंगी.

किसी व्यक्ति की एक्टिविटी, लोकेशन, बातचीत या वित्तीय लेनदेन की जानकारी हासिल करना आसान होगा. यह जोखिम से भरा है.”

7. क्या इससे चोरी हुए फ़ोन बरामद होंगे?

सरकार का दावा है कि इससे 37 लाख से अधिक चोरी या खोये हुए मोबाइल हैंडसेट को सफलतापूर्वक ब्लॉक किया गया है.

साथ ही [sanchar saathi app] के ज़रिये 22 लाख 76 हज़ार से अधिक डिवाइस को सफलतापूर्वक खोजा भी गया है.

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8. क्या यह फ़ैसला लोगों की सहमति के बिना लिया गया?

कई उद्योग विश्लेषक और नीति-विशेषज्ञ कहते हैं कि इस आदेश से पहले इस पर कोई सार्वजनिक परामर्श या व्यापक बहस नहीं हुई. यह ‘बिना चर्चा’ के अचानक लागू किया गया है.

कांग्रेस जैसे राजनीतिक दल इसे अवैध और असंवैधानिक भी बता रहे हैं.

विराग गुप्ता का कहना है, “संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार डिजिटल और टेलिकॉम से जुड़े फ़ैसले केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन साइबर अपराध को रोकना राज्यों की ज़िम्मेदारी है.”

वह कहते हैं, “ऐसे में सवाल उठता है कि जब दोनों के अधिकार अलग-अलग हैं, तो कोई नया नियम बनाने से पहले राज्यों और आम लोगों से सलाह-मशविरा क्यों नहीं किया गया?”

ग्लोबल टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च कंपनी काउंटरपॉइंट के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “हमारे नवंबर 2025 के सर्वे के मुताबिक़, हर 10 में से 6 स्मार्टफोन यूज़र अपने फ़ोन में प्री-इंस्टॉल्ड ऐप नहीं चाहते हैं.”

वह कहते हैं, “मेरा मानना है कि लोग आजकल प्री-इंस्टॉल ऐप्स और ब्लोटवेयर को लेकर काफ़ी सजग हैं और उन्हें ये ऐप्स नापसंद भी होते हैं.

इसलिए इस बात की संभावना है कि निजता को लेकर चर्चा बढ़ेगी और विरोध भी होगा. ऐसे में कोई बीच का रास्ता निकल सकता है.”

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क्या यह ऐप सोशल मीडिया, ब्राउज़र या अन्य ऐप्स की जानकारी तक पहुंच सकता है?

ऐसा कोई आधिकारिक दावा नहीं है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि जब ऐप को फ़ोन में स्थायी बना दिया गया है, तो किसी भी भविष्य अपडेट में इसकी परमिशन बढ़ाई जा सकती है.

9. क्या कंपनियों ने पहले से इसका विरोध किया है?

काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक़, 2025 तक भारत में इस्तेमाल हो रहे 73.5 करोड़ स्मार्टफोन्स में से सिर्फ 4.5% फोन एप्पल के आईओएस पर चलते हैं. बाकी लगभग सभी फोन एंड्रॉयड पर हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक एप्पल अपने फोन में सिर्फ अपने ही ऐप पहले से डालता है. उसकी नीति है कि कोई सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप फोन की बिक्री से पहले इंस्टॉल नहीं किया जा सकता.

तरुण पाठक कहते हैं, “एप्पल हमेशा से ऐसे सरकारी निर्देशों को मानने से इनकार करता आया है.”

उनका अनुमान है कि एप्पल एक बीच का रास्ता खोजने की कोशिश करेगा और संभव है कि वह सरकार के साथ बातचीत कर यूज़र्स को ऐप इंस्टॉल करने के सुझाव दे.

10. क्या यह ऐप भारतीय डेटा प्रोटेक्शन क़ानून के नियमों के अनुसार है?

भारत का डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 एक बात को सबसे ज़्यादा महत्व देता है- वह है यूज़र की सहमति.

सुप्रीम कोर्ट के वकील दिनेश जोतवानी का कहना है, “भारत में डेटा प्रोटेक्शन क़ानून लागू है, जिसमें साफ़ लिखा है कि किसी भी तरह का व्यक्तिगत डेटा लेने के लिए सहमति ज़रूरी है.”

उनका कहना है, “फोन में क्या रहेगा और क्या नहीं, यह तय करने का अधिकार आपकी निजी स्वतंत्रता का हिस्सा है.

ऐसे में, अगर संचार साथी ऐप को फोन से हटाने का विकल्प नहीं मिलेगा तो यह यूज़र की निजता, स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ माना जा सकता है.”

11. क्या ऐप को सुरक्षा एजेंसियां रियल-टाइम सर्विलांस के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं?

आधिकारिक रूप से सरकार इसे नकारती है.

लेकिन टेलिकॉम मामलों के जानकार कहते हैं कि भारत में सर्विलांस कानून पहले से बहुत व्यापक हैं.

जानकार कहते हैं कि अगर कभी ज़रूरत पड़े, तो ऐसे ऐप को क़ानूनी आदेश के तहत निगरानी के लिए सक्षम बनाया जा सकता है.

12. बाक़ी लोकतांत्रिक देशों की तुलना में यह निर्देश कैसा है?

ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों में प्री-इंस्टॉल्ड सरकारी ऐप अनिवार्य नहीं होते. जर्मनी, अमेरिका, जापान या ईयू देशों में यह मॉडल नहीं मिलता.

तरुण पाठक का कहना है, “अगर आप यूरोप के डिजिटल मार्केट एक्ट को देखें, तो वहाँ गेटकीपर्स (बड़ी डिजिटल कंपनियाँ) यूज़र्स को ऐप डिलीट करने की अनुमति देने के लिए बाध्य हैं.”

वह कहते हैं, “लेकिन भारत में इस निर्देश के बाद हम उल्टी दिशा में जा रहे हैं.”

13. रूस की मैक्स ऐप क्या है?

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस में सभी नए मोबाइल फोन और टैबलेट में एक मैसेजिंग ऐप ‘मैक्स’ पहले से इंस्टॉल रहना ज़रूरी है.

मैक्स ऐप एक सरकारी-समर्थित मैसेंजर ऐप है, जिसे रूस में व्हाट्सऐप के विकल्प के तौर पर पेश किया गया है.

कंपनी के मुताबिक इस ऐप को 1.8 करोड़ से ज़्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं. रूस की सरकार का कहना है कि इस ऐप को सरकारी डिजिटल सेवाओं के साथ जोड़ दिया जाएगा.

कई आलोचकों का मानना है कि इस ऐप का इस्तेमाल नागरिकों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए किया जा सकता है. हालांकि, रूस की सरकारी मीडिया ने इन आरोपों को ग़लत बताया है.

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FAQs (sanchar saathi app)

Q1: क्या संचार साथी ऐप मेरे फोन का पर्सनल डेटा देख सकता है?

Ans: सरकार का कहना है कि यह ऐप सुरक्षित है और बिना बताए डेटा नहीं लेता. लेकिन, एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो परमिशन यह ऐप मांगता है, उससे रिस्क हो सकता है.

Q2: अगर मैं चाहूं तो क्या इस ऐप को अनइंस्टॉल कर सकता हूं?

Ans: जी हां, सरकार ने साफ किया है कि आप अपनी मर्जी से जब चाहें इसे डिलीट कर सकते हैं. इस पर कोई रोक नहीं है.

Q3: मेरे नाम पर कितने सिम कार्ड हैं, यह कैसे पता चलेगा?

Ans: इसके लिए आप [sanchar saathi app] या पोर्टल पर ‘TAFCOP’ फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहां अपना मोबाइल नंबर डालकर आप सारी डिटेल्स देख सकते हैं.

Q4: क्या iPhone में भी यह ऐप पहले से इंस्टॉल होकर आएगा?

Ans: सरकार ने तो सभी कंपनियों को निर्देश दिया है, लेकिन Apple की पॉलिसी सख्त है. अभी यह देखना बाकी है कि Apple इसे मानता है या कोई बीच का रास्ता निकलता है.

Q5: अगर मेरा फोन खो जाए, तो यह ऐप कैसे मदद करेगा?

Ans: आप पोर्टल पर जाकर अपने खोए हुए फोन का IMEI नंबर ब्लॉक कर सकते हैं. इससे कोई दूसरा उसे इस्तेमाल नहीं कर पाएगा और अगर कोई उसमें सिम डालेगा, तो लोकेशन ट्रेस हो जाएगी.

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