Sunroof Car: देश में 85% SUV में सनरूफ का क्रेज, पर सेफ्टी (Safety) का क्या?
Sunroof Car का बढ़ता क्रेज: स्टाइल और लक्ज़री (Luxury) या सिर्फ एक ट्रेंड (Trend)?
भारत में आजकल कार खरीदारों के बीच Sunroof Car का क्रेज (Craze) तेजी से बढ़ता जा रहा है। चाहे कार बजट सेगमेंट की हो या प्रीमियम SUV (एसयूवी), अब लगभग हर खरीदार अपनी गाड़ी में सनरूफ चाहता है। आँकड़े (Data) बताते हैं कि 2021 में जहाँ सिर्फ 17.8% कारों में सनरूफ मिलता था, वहीं 2024 तक यह हिस्सा 30% तक पहुँच गया है। हुंडई (Hyundai) जैसी कंपनियों की बात करें तो 2025 की पहली छमाही में उनकी 54% कारें सनरूफ के साथ बिक रही थीं। वहीं, SUV सेगमेंट में करीब 85% मॉडल्स अब सनरूफ से लैस हैं। इतना ही नहीं, ऑनलाइन सर्च डेटा (Search Data) भी दर्शाता है कि ‘सनरूफ वाली कारों’ की खोजों में 35% की वृद्धि हुई है, जो इस फीचर की बढ़ती लोकप्रियता को साफ दिखाता है। ऑटोमोबाइल कंपनियाँ इसे एक लक्ज़री (Luxury) और आधुनिक लाइफस्टाइल (Lifestyle) के प्रतीक के रूप में पेश कर रही हैं।
पुणे-मंगांव हादसा: क्या सनरूफ आपकी सेफ्टी (Safety) के लिए एक खतरा है?
ऑटोमोबाइल कंपनियाँ सनरूफ को एक लक्ज़री और लाइफस्टाइल फीचर (Feature) के रूप में पेश कर रही हैं, विज्ञापनों में इसे प्रीमियम अनुभव का प्रतीक बताया जाता है। लेकिन इन ग्लास पैनलों (Panels) के पीछे छिपे सुरक्षा खतरों (Safety Risks) पर शायद ही कभी खुलकर बात होती है। हाल ही में महाराष्ट्र के ताम्हिणी घाट में एक दर्दनाक हादसे (Accident) ने इस फीचर की सेफ्टी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। एक महिला Volkswagen Virtus कार में सफर कर रही थीं, जब पहाड़ी से गिरा एक बड़ा पत्थर सनरूफ पर आ गिरा और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताती है कि खूबसूरत दिखने वाला यह फीचर, जो केवल स्टाइल (Style) के लिए लिया जाता है, कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है और इसके संभावित जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
क्यों खतरनाक साबित हो सकती हैं सनरूफ कारें? (Sunroof Car Safety Hindi)
1. ध्यान भटकना और एक्सीडेंट (Accident) का खतरा
सनरूफ के जरिए बाहर देखने या खड़े होने का रोमांच ड्राइवर और यात्रियों दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। यह न केवल ड्राइवर का ध्यान भटकाता है बल्कि अचानक ब्रेक या हादसे की स्थिति में यह गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकता है, क्योंकि यात्री कार की सेफ्टी सीमा से बाहर निकल जाते हैं। भारत में अक्सर बच्चों को सनरूफ से बाहर निकलते देखा जाता है, जो बेहद जोखिम (Risk) भरा है।
2. ग्लास टूटने की आशंका
सनरूफ का ग्लास (Glass) टेम्पर्ड (Tempered) या लैमिनेटेड (Laminated) होता है, लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता। अत्यधिक गर्मी, मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट (Manufacturing Defect), या सड़क पर उड़ते हुए पत्थरों, कंकड़, या अन्य वस्तुओं के टकराने से यह अचानक टूट सकता है, जिससे कार के अंदर बैठे यात्रियों को ग्लास के टुकड़ों से चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
Toyota Walk Me Hindi: टोयोटा लाई गजब की Walk Me Chair: अब सीढ़ियाँ भी चढ़ेगी वील चेयर!
3. स्ट्रक्चरल (Structural) मज़बूती में कमी
सनरूफ के कारण कार की छत में एक बड़ा हिस्सा काटा जाता है, जिससे बॉडी स्ट्रक्चर (Body Structure) कुछ हद तक कमजोर पड़ सकती है। रोलओवर (Rollover) जैसी दुर्घटनाओं में, जहाँ छत पर भार पड़ता है, यह खतरा और भी बढ़ जाता है, क्योंकि छत यात्रियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में अक्षम हो सकती है।
4. केबिन (Cabin) में गर्मी और UV रेज़ (Rays) का असर
ग्लास रूफ (Glass Roof) से धूप सीधी केबिन के अंदर आती है, खासकर भारत जैसे गर्म देश में, जिससे कार का इंटीरियर (Interior) तेजी से गर्म होता है। यह न केवल एयर कंडीशनर (AC) की परफॉर्मेंस (Performance) को घटाता है, बल्कि यात्रियों को हानिकारक UV किरणों के सीधे नुकसान का जोखिम भी बढ़ाता है, भले ही ग्लास टिंटेड (Tinted) हो।
5. वॉटर लीकेज (Water Leakage) और मेंटेनेंस (Maintenance) का खर्च
बरसात में सनरूफ से पानी टपकने की शिकायतें आम हैं। समय के साथ रबर सील (Rubber Seal) और ड्रेनेज चैनल कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे लीकेज (Leakage) होने लगता है, जो कार के इंटीरियर को नुकसान पहुँचा सकता है। इतना ही नहीं, अगर सनरूफ का मोटर (Motor), ट्रैक या ग्लास खराब हो जाए, तो इसकी मरम्मत (Repair) बेहद महंगी पड़ सकती है, जिससे जेब पर अतिरिक्त भार पड़ता है।
स्टाइल (Style) से ज्यादा ज़रूरी है आपकी सेफ्टी (Safety)
सनरूफ निस्संदेह कार की स्टाइल और आकर्षण बढ़ाता है, जो खरीदारों को अपनी ओर खींचता है, लेकिन सेफ्टी के दृष्टिकोण से यह हमेशा सुरक्षित ऑप्शन (Option) नहीं होता। अगर आप सनरूफ कार लेने की सोच रहे हैं, तो उसके स्टाइलिश फायदों और संभावित सुरक्षा खतरों को ध्यान से समझें और उनका तुलनात्मक एनालिसिस (Analysis) करें। आखिरकार, गाड़ी की असली लक्ज़री वही है जो आपको और आपके परिवार (Family) को सुरक्षित यात्रा (Journey) का भरोसा दे सके और हर मौसम में आपको महफूज़ रखे। यह निर्णय (Decision) आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और जोखिम (Risk) सहने की क्षमता पर निर्भर करता है।
FAQs
- प्रश्न: भारत में सनरूफ वाली कारों का मार्केट शेयर कितना बढ़ा है?
- उत्तर: 2021 में सनरूफ कारों का मार्केट शेयर सिर्फ 17.8% था, जो 2024 तक बढ़कर 30% हो गया है। SUV सेगमेंट में, 85% तक मॉडल्स अब सनरूफ के साथ आ रहे हैं।
- प्रश्न: सनरूफ को लक्ज़री फीचर क्यों माना जाता है?
- उत्तर: ऑटोमोबाइल कंपनियां इसे एक प्रीमियम लाइफस्टाइल और आधुनिक स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में प्रमोट करती हैं, इसीलिए इसे एक लक्ज़री फीचर माना जाता है।
- प्रश्न: सनरूफ से होने वाला सबसे बड़ा सेफ्टी रिस्क क्या है?
- उत्तर: ड्राइविंग के दौरान सनरूफ से बाहर खड़े होना सबसे बड़ा सेफ्टी रिस्क है। अचानक ब्रेक लगने पर या किसी एक्सीडेंट की स्थिति में यह जानलेवा साबित हो सकता है।

India’s No. #10 Hindi News Website – Deshtak.com
(देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले पढ़ें Deshtak.com पर , आप हमें Facebook, Twitter, Instagram , LinkedIn और Youtube पर फ़ॉलो करे)







