7 सबसे बड़े Meta Ads Latest Updates 2025: अपनी विज्ञापन रणनीति को दें नया आयाम
Meta Ads Latest Updates 2025 Details In Hindi: पिछले कुछ महीनों में मेटा (Meta) ने अपने विज्ञापन प्लेटफॉर्म में एक के बाद एक ऐसे धांसू अपडेट्स (Updates) लाए हैं, जिन्होंने हम जैसे अनुभवी विज्ञापनदाताओं को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। मेरा 20 साल का अनुभव कहता है कि अगर आप Facebook Ads चला रहे हैं या चलाने की सोच रहे हैं, तो इन बदलावों को सिर्फ जानना ही नहीं, बल्कि अपनी रणनीति में शामिल करना बेहद ज़रूरी है। ये सिर्फ नए फीचर्स नहीं हैं; ये आपके ROI (Return on Investment) को सीधे प्रभावित करने वाले गेम-चेंजर हैं।
इन अपडेट्स को नज़रअंदाज़ करने का मतलब है कि आप अपनी जेब से बेवजह ज़्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं! तो चलिए, बिना किसी देरी के, उन 7 बड़े अपडेट्स पर बात करते हैं जो आपके Meta Ads कैंपेन को पूरी तरह से बदल देंगे।
1. फ़नल का भविष्य: कंसोलिडेशन कैंपेन (Consolidation Campaign)
जब मैंने पहली बार कंसोलिडेशन (Consolidation) के बारे में सुना, तो मुझे भी विश्वास नहीं हुआ। सालों से, हम एक क्लासिक फनल मॉडल पर काम करते आए थे:
- Top of Funnel (TOFU): जागरूकता (Awareness) के लिए खर्च।
- Middle of Funnel (MOFU): ट्रैफिक (Traffic) और एंगेजमेंट (Engagement) के लिए खर्च।
- Bottom of Funnel (BOFU): सेल्स/कन्वर्जन (Sales/Conversion) के लिए खर्च।
कुछ साल पहले, हम कन्वर्जन कैंपेन को ही सब कुछ मानने लगे थे। पर अब मेटा ने एक नया मंत्र दिया है: कंसोलिडेशन।
कंसोलिडेशन क्या है और यह क्यों ज़रूरी है?
कंसोलिडेशन का मतलब है कि आप अपने सभी प्रकार के विज्ञापन क्रिएटिव्स (Ad Creatives) – चाहे वह कोल्ड ऑडियंस (Cold Audience) के लिए हो, वार्म ऑडियंस (Warm Audience) के लिए, या रीटारगेटिंग के लिए – को एक ही कैंपेन और एक ही एडसेट में डाल दें।
मेटा का एल्गोरिथम अब इतना स्मार्ट हो गया है कि वह खुद-ब-खुद तय करता है:
- कौन सी ऑडियंस को कौन-सा क्रिएटिव दिखाना है।
- वह आपके लिए ऑटोमैटिकली फ़नल क्रिएट करता है।
हमारा रियल-लाइफ एक्सपीरियंस: हमने अपने एक ई-कॉमर्स कैंपेन पर इसे आजमाया। पहले, हमें ₹1000-₹1200 प्रति ख़रीद की लागत (Cost Per Purchase – CPP) आ रही थी, जो बहुत ज़्यादा थी। जैसे ही हमने कंसोलिडेशन कैंपेन शुरू किया, अगले ही दिन CPP घटकर ₹300-₹400 पर आ गई। इससे साबित होता है कि मेटा का एल्गोरिथम अब सचमुच गेम-चेंजर है!
Expert Note:
कंसोलिडेशन कैंपेन में एक चीज़ का ध्यान रखें: यदि आपका कोई क्रिएटिव ₹300 CPP दे रहा है और कोई ₹80 CPP, तो ₹300 वाले को बंद न करें! हो सकता है ₹300 वाला क्रिएटिव जागरूकता (Awareness) के फनल में काम कर रहा हो, और ₹80 वाला वार्म ऑडियंस को सेल्स दे रहा हो। यदि आप जागरूकता वाले ऐड को बंद करते हैं, तो आपकी सेल्स भी प्रभावित हो सकती है। इसे मैनेज करना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए फ़नल के मैट्रिक्स को समझकर ही कोई फैसला लें।
इसे कैसे सेट करें (Step-by-Step Guide):
मान लीजिए आपका एथनिक वियर (Ethnic Wear) का ब्रांड है, और आप सेल्स कैंपेन चलाना चाहते हैं। आपके पास 10 अलग-अलग डिज़ाइन के क्रिएटिव्स हैं (कुछ कोल्ड ऑडियंस के लिए, कुछ वार्म ऑडियंस के लिए)।
- कैंपेन ऑब्जेक्टिव: Ads Manager में जाएँ और एक नया कैंपेन बनाएँ। कैंपेन ऑब्जेक्टिव ‘सेल्स’ (Sales) चुनें।
- एडसेट क्रिएशन: कैंपेन के अंदर सिर्फ एक एडसेट (Adset) बनाएँ।
- टारगेटिंग: आप चाहें तो थोड़ी-बहुत टारगेटिंग (जैसे Age, Gender, Location) कर सकते हैं, या ब्रॉड (Broad) छोड़कर मेटा एल्गोरिथम पर भरोसा कर सकते हैं (ट्रिक: अक्सर ब्रॉड टारगेटिंग बेहतर काम करती है)।
- बजट: अपना दैनिक या आजीवन बजट सेट करें।
- क्रिएटिव अपलोड (मुख्य चरण):
- इस एक एडसेट के अंदर, अपने सारे 10 क्रिएटिव्स (जो कोल्ड, वार्म, हर प्रकार की ऑडियंस के लिए डिज़ाइन किए गए हैं) को ऐड करें।
- प्राइमरी टेक्स्ट/हेडलाइन/डिस्क्रिप्शन भी हर क्रिएटिव के लिए अलग-अलग लिखें (जैसे कोल्ड ऑडियंस वाले क्रिएटिव पर जागरूकता वाला टेक्स्ट, और वार्म ऑडियंस वाले पर “छूट प्राप्त करें” वाला टेक्स्ट)।
- पब्लिश करें: पब्लिश करने के बाद, मेटा का AI खुद तय करेगा:
- ठंडी ऑडियंस (जो आपको नहीं जानती): उन्हें जागरूकता बढ़ाने वाले 4-5 क्रिएटिव्स दिखाएगा।
- गर्म ऑडियंस (जिन्होंने आपकी वेबसाइट देखी है): उन्हें सीधे सेल्स और डिस्काउंट वाले क्रिएटिव्स दिखाएगा।
- इस प्रकार, एक कैंपेन के अंदर आपका पूरा फनल ऑटोमैटिकली मैनेज हो जाएगा।
कंसोलिडेशन ट्रिक:
हमेशा कम से कम 5-7 क्रिएटिव्स के साथ शुरुआत करें। अगर आपको एक क्रिएटिव पर Cost Per Purchase (CPP) बहुत ज़्यादा दिख रही है, तो उसे तुरंत बंद न करें। उसे कुछ दिन दें। यदि वह Spent कम कर रहा है, तो वह संभवतः जागरूकता का काम कर रहा है, जो सेल्स की नींव है।
2. भारत में आय-आधारित टारगेटिंग (Income-Based Targeting in India)
पहले, यह सुविधा सिर्फ US जैसे देशों में उपलब्ध थी, लेकिन अब मेटा ने भारत में भी इनकम के आधार पर लोगों को टारगेट करने का विकल्प शुरू कर दिया है।
यह अपडेट उन व्यवसायों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो:
- हाई-टिकट उत्पाद (High-Ticket Products) बेचते हैं (जैसे लक्ज़री वस्तुएँ, प्रीमियम सेवाएँ)।
- लो-टिकट या बजट-फ़्रेंडली उत्पादों को बेचना चाहते हैं।
आप अब आय (Income) के विभिन्न स्तरों के आधार पर अपनी ऑडियंस को बहुत सटीक तरीके से लक्षित कर सकते हैं। यह न केवल आपकी टेस्टिंग को आसान बनाता है, बल्कि आपके विज्ञापन बजट को सही ग्राहकों तक पहुँचाने में भी मदद करता है।
इसे कैसे सेट करें (Practical Example):
मान लीजिए आप एक प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट कोर्स बेचते हैं, जिसकी फ़ीस ₹50,000 है। आप केवल उच्च आय वर्ग (High Income Group) को लक्षित करना चाहते हैं।
- एडसेट सेटिंग: अपने कैंपेन में (या टेस्टिंग एडसेट में) टारगेटिंग सेक्शन पर जाएँ।
- डिटेल्ड टारगेटिंग: ‘Detailed Targeting’ बॉक्स में, ‘Browse’ पर क्लिक करें।
- इनकम चुनें: आपको अब ‘Demographics’ में ‘Financial’ के तहत ‘Income’ से संबंधित विकल्प दिखाई देने चाहिए (यह विकल्प धीरे-धीरे रोल आउट हो रहा है)।
- यहां, आप उन लोगों को टारगेट कर सकते हैं जो “High-Income” ब्रैकेट में आते हैं या जिनकी आय देश के औसत से ऊपर है।
- टेस्ट करें: एक एडसेट में हाई इनकम ग्रुप को टारगेट करें और दूसरे एडसेट में सामान्य/ब्रॉड टारगेटिंग करें। परिणामों की तुलना करें।
इनकम टारगेटिंग ट्रिक:
इनकम टारगेटिंग का उपयोग करते समय ओवर-टारगेटिंग (Over-Targeting) से बचें। इसे केवल एक अतिरिक्त फ़िल्टर के रूप में उपयोग करें। उदाहरण के लिए, आप ‘उच्च आय’ + ‘बिजनेस ट्रैवल’ में रुचि रखने वाले लोगों को टारगेट कर सकते हैं, ताकि आपका विज्ञापन सही हाई-टिकट क्लाइंट तक पहुँचे।
3. WhatsApp स्टेटस प्लेसमेंट (WhatsApp Status Placement)
यह शायद इस साल का सबसे क्रेज़ी अपडेट है! मेटा ने अब WhatsApp स्टेटस को भी प्लेसमेंट (Placement) के रूप में ऐड मैनेजर में जोड़ दिया है।
आप इसे कैसे देखें: अपने Ads Manager में प्लेसमेंट सेक्शन में जाएँ। आपको वहाँ Facebook, Instagram, Audience Network, और Threads के साथ-साथ अब WhatsApp का विकल्प भी दिखाई देगा।
क्यों है यह गेम-चेंजर? WhatsApp एक अत्यधिक व्यक्तिगत (Personal) और भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है। लोग आमतौर पर अपने WhatsApp स्टेटस को बहुत ध्यान से देखते हैं। ऐसे में, यदि आपका विज्ञापन वहाँ दिखाई देता है, तो उसकी विज़िबिलिटी (Visibility) और एंगेजमेंट (Engagement) बहुत ज़्यादा हो सकती है। ई-कॉमर्स और सर्विस-आधारित दोनों ही व्यवसायों के लिए यह एक मस्ट-टेस्ट सुविधा है।
इसे कैसे सेट करें (Activation Guide):
यह सुनिश्चित करना बहुत आसान है कि आपका विज्ञापन WhatsApp स्टेटस पर दिखाई दे:
- एडसेट लेवल पर जाएँ: अपने कैंपेन के अंदर एडसेट सेटिंग पर जाएँ।
- प्लेसमेंट सेक्शन: नीचे स्क्रॉल करें और ‘Placements’ सेक्शन पर क्लिक करें।
- मैनुअल प्लेसमेंट: ‘Manual Placements’ चुनें।
- नेटवर्क चेक: ‘Facebook’, ‘Instagram’, और ‘Audience Network’ के साथ-साथ आपको ‘WhatsApp’ का विकल्प दिखाई देगा। इसे टिक (Tick) करें।
- स्टेटस चुनें: ‘WhatsApp’ के नीचे, ‘Status’ प्लेसमेंट को भी सक्रिय (Activate) करना सुनिश्चित करें।
ट्रिक: WhatsApp प्लेसमेंट के लिए हमेशा ऐसे वीडियो क्रिएटिव्स का उपयोग करें जो फ़ास्ट-पेस्ड हों और मोबाइल-फ़र्स्ट हों, क्योंकि लोग स्टेटस तेज़ी से स्किप करते हैं। आपके पास उन्हें रोकने के लिए केवल 1-2 सेकंड होते हैं।
4. बजट साझाकरण: मल्टीपल एडसेट के साथ (Budget Sharing with Multiple Adsets)
मेटा अब आपको यह चुनने का विकल्प दे रहा है कि क्या आप अपने एडसेट का बजट उसी कैंपेन के अन्य एडसेट्स के साथ साझा (Share) करना चाहेंगे।
यह कैसे काम करता है? मान लीजिए आपके पास 4 एडसेट हैं, और आपने प्रत्येक को ₹800 का बजट दिया है। यह नया विकल्प मेटा को अनुमति देता है कि यदि एडसेट 3, एडसेट 1 से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, तो वह एडसेट 1 के बजट का एक हिस्सा एडसेट 3 को दे दे।
5. कोलैबोरेटिव एड्स (Collaborative Ads): क्विक कॉमर्स का जादू
यह अपडेट FMCG ब्रांड्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे Blinkit, Swiggy Instamart, Zepto) या Amazon, Flipkart जैसे मार्केटप्लेस पर उपलब्ध विक्रेताओं के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर है।
सुविधा: अब आप अपने Meta Merchant Center को सीधे इन प्लेटफॉर्म्स से कनेक्ट करके उनके लिए विज्ञापन चला सकते हैं।
फायदा क्या है?
- जब कोई आपके विज्ञापन पर क्लिक करता है, तो वह सीधे Blinkit या Amazon पर पहुँचेगा, आपकी वेबसाइट पर नहीं।
- ट्रस्ट (Trust) बढ़ता है: नए ब्रांड्स के लिए यह बहुत ज़रूरी है। लोग Amazon या Swiggy जैसी कंपनियों पर जल्दी भरोसा करते हैं। इससे ख़रीद की संभावना बढ़ जाती है।
- RTO (Return to Origin) कम होता है: क्योंकि ग्राहक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म पर ख़रीद रहा है, रिटर्न की संभावना कम हो जाती है।
आप इस फीचर का उपयोग ट्रस्ट बनाने के लिए कर सकते हैं, और बाद में जब ब्रांड बन जाए, तो लिंक को अपनी वेबसाइट में बदल सकते हैं।
इसे कैसे सेट करें (Integration Guide):
यह सुविधा मुख्य रूप से उन ब्रांड्स के लिए है जो पहले से ही Amazon, Flipkart, Blinkit या Swiggy Instamart पर अपना कैटलॉग रखते हैं।
- प्लेटफ़ॉर्म अकाउंट: सुनिश्चित करें कि आपका प्रोडक्ट क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लाइव है।
- Facebook Merchant Center: Meta Ads Manager के अंदर ‘Events Manager’ या ‘Commerce Manager’ सेक्शन में जाएँ।
- पार्टनर इंटीग्रेशन: यहाँ, आपको ‘पार्टनर इंटीग्रेशंस’ (Partner Integrations) का विकल्प मिलेगा।
- कनेक्ट करें: Blinkit, Amazon, या Swiggy Instamart जैसे पार्टनर को चुनें और अपने अकाउंट को कनेक्ट करें। इस प्रक्रिया में, आप अपने प्रोडक्ट कैटलॉग को मेटा के साथ साझा करने की अनुमति देते हैं।
- ऐड क्रिएशन: अब जब आप सेल्स कैंपेन बनाएँगे, तो आप अपनी वेबसाइट के बजाय कॉल टू एक्शन (CTA) लिंक को सीधे उस मार्केटप्लेस प्रोडक्ट पेज पर सेट कर पाएँगे।
कोलैबोरेशन ट्रिक:
यदि आपका ब्रांड नया है, तो Amazon या Flipkart को CTA लिंक के रूप में उपयोग करें। जब ग्राहक देखते हैं कि उन्हें किसी विश्वसनीय प्लेटफ़ॉर्म पर रीडायरेक्ट किया जा रहा है, तो ट्रस्ट तुरंत बढ़ जाता है, जिससे Conversion Rate (रूपांतरण दर) में काफी सुधार होता है।
6. लर्निंग फेज में बदलाव (Changes in Learning Phase)
मेटा ने अब अपनी डॉक्यूमेंटेशन में यह स्पष्ट कर दिया है कि हर छोटे बदलाव (जैसे एक नया ऐड क्रिएटिव अपलोड करना) के लिए आपका कैंपेन दोबारा लर्निंग फेज में नहीं जाएगा।
पहले क्या होता था: ऐड सेट या कैंपेन में कोई भी बदलाव करने पर वह फिर से ‘लर्निंग फेज’ में चला जाता था, जिससे रिजल्ट्स मिलने में देरी होती थी।
अब क्या होगा: छोटे-मोटे बदलावों पर कैंपेन तुरंत लाइव रहेगा। यह बदलाव टेस्टिंग समय को कम करेगा और आपके ऐड्स को तेज़ी से आपकी ऑडियंस तक पहुँचाएगा। मेरा मानना है कि यह एक सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि जितना कम समय हम ‘लर्निंग’ में बिताएंगे, उतनी जल्दी हमें वास्तविक परिणाम मिलेंगे।
इसे कैसे उपयोग करें (Strategic Advantage):
यह अपडेट कोई ‘सेटअप’ नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक लाभ है। इसका उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका यह है:
- तेज़ क्रिएटिव टेस्टिंग: पहले, हम एक साथ 5 क्रिएटिव्स डालते थे और उन्हें हफ्तों तक नहीं छूते थे। अब, आप हर 24-48 घंटों में एक नया, बेहतर क्रिएटिव जोड़ सकते हैं, बिना इस चिंता के कि कैंपेन की परफ़ॉर्मेन्स ‘बिगड़ जाएगी’।
- छोटे बदलाव करें: यदि आपको हेडलाइन या प्राइमरी टेक्स्ट में छोटा-सा सुधार करना है, तो अब आप बेझिझक कर सकते हैं। कैंपेन को पूरी तरह से बंद करके फिर से शुरू करने की ज़रूरत नहीं है।
लर्निंग फेज ट्रिक:
नया क्रिएटिव अपलोड करने या कोई बदलाव करने के बाद भी, पहले 24 घंटे कैंपेन पर नज़र रखें। हालाँकि मेटा कहता है कि लर्निंग फेज रीस्टार्ट नहीं होगा, पर शुरुआती कुछ घंटों में बजट वितरण (Budget Distribution) में थोड़ा बदलाव आ सकता है।
7. क्लिक-टू-मैसेज एड्स में नया फनल (New Funnel in Click-to-Message Ads)
मेटा अभी एक नई चीज़ की टेस्टिंग कर रहा है: WhatsApp क्लिक-टू-मैसेज एड्स का नया वर्जन।
अभी का तरीका: विज्ञापन पर क्लिक करने पर सीधे WhatsApp चैट खुल जाती है।
नया तरीका (टेस्टिंग में): विज्ञापन पर क्लिक करने पर, पहले वह WhatsApp स्टेटस पर जाएगा, और उसके बाद मैसेज चैट पर।
रणनीतिक लाभ: मेटा यहाँ खुद एक मिनी-फ़नल तैयार कर रहा है। यह ब्रांड्स को स्टेटस प्लेसमेंट का लाभ लेने और फिर मैसेज के माध्यम से कन्वर्जन की ओर बढ़ने का एक नया अवसर देगा। यह सुविधा अभी पूरी तरह से लाइव नहीं है, पर जल्द ही भारत में भी इसकी उम्मीद है।
इसे कैसे सेट करें (Future-Proofing Strategy):
चूंकि यह फीचर अभी टेस्टिंग में है, आप इसे सीधे Ads Manager में सेट नहीं कर पाएँगे। लेकिन जब यह लाइव होगा, तो सेटअप साधारण ‘क्लिक-टू-मैसेज’ कैंपेन की तरह होगा।
क्या करें:
- मैसेज ऑब्जेक्टिव: जब यह लाइव होगा, तब आपको ‘मैसेज’ कैंपेन बनाते समय WhatsApp को डेस्टिनेशन के रूप में चुनना होगा।
- नया ऑप्शन: मैसेज सेटिंग्स में, एक नया विकल्प दिखाई देगा जो पूछेगा कि क्या आप WhatsApp स्टेटस फनल को सक्रिय करना चाहते हैं।
फ्यूचर फनल ट्रिक:
चूंकि यह फीचर आपके ऐड को WhatsApp स्टेटस पर भी दिखाएगा, अपने मैसेज ऐड के लिए 15-सेकंड का वर्टिकल वीडियो तैयार रखें। यह वीडियो आकर्षक होना चाहिए ताकि लोग स्टेटस देखकर सीधे मैसेज करने के लिए प्रेरित हों। यह प्री-फ़नलिंग आपके मैसेजेस की क्वालिटी को बढ़ाएगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. कंसोलिडेशन कैंपेन चलाने का सबसे बड़ा जोखिम क्या है?
A: सबसे बड़ा जोखिम यह है कि आप अनजाने में जागरूकता (Awareness) या एंगेजमेंट (Engagement) के लिए काम कर रहे अच्छे ऐड क्रिएटिव्स को बंद कर सकते हैं। यदि कोई क्रिएटिव आपको हाई CPP दे रहा है, तो ज़रूरी नहीं कि वह खराब हो; वह ‘कोल्ड ऑडियंस’ को ‘वार्म’ बनाने का काम कर रहा हो सकता है। पूरे फनल को समझे बिना किसी भी क्रिएटिव को बंद न करें।
Q2. भारत में इनकम-आधारित टारगेटिंग का विकल्प मेरे Ads Manager में क्यों नहीं दिख रहा है?
A: मेटा इन सुविधाओं को धीरे-धीरे (Roll-Out) सभी खातों में उपलब्ध कराता है। यह संभव है कि आपके खाते में यह विकल्प अभी तक नहीं आया हो। घबराएँ नहीं, यह जल्द ही आपके डैशबोर्ड पर भी दिखने लगेगा।
Q3. WhatsApp स्टेटस प्लेसमेंट का उपयोग कौन से ब्रांड्स को करना चाहिए?
A: सभी ब्रांड्स को इसका उपयोग करना चाहिए, खासकर वे जो ई-कॉमर्स में हैं या सीधे लीड्स (Leads) जेनरेट करना चाहते हैं। WhatsApp पर व्यक्तिगत जुड़ाव की संभावना अधिक होती है, जो उच्च रूपांतरण दर (Higher Conversion Rate) में बदल सकता है।
Q4. क्या कोलैबोरेटिव एड्स चलाने के लिए मुझे अपनी वेबसाइट की ज़रूरत है?
A: नहीं, कोलैबोरेटिव एड्स का मुख्य उद्देश्य यही है कि ग्राहक सीधे विश्वसनीय मार्केटप्लेस (जैसे Amazon, Flipkart, Blinkit) पर जाकर खरीदारी कर सकें। आपकी वेबसाइट की लिंक देने के बजाय, आप सीधे उस प्रोडक्ट का लिंक मार्केटप्लेस पर देते हैं। यह नए ब्रांड्स के लिए विश्वसनीयता (Trust) बनाने का बेहतरीन तरीका है।
Q5. नया लर्निंग फेज अपडेट मेरे लिए कैसे फायदेमंद है?
A: यह आपका समय और पैसा बचाता है। पहले, हर छोटे बदलाव पर कैंपेन को फिर से डेटा जुटाना पड़ता था। अब, आपका ऐड जल्दी से ऑप्टिमाइज़ होता है और आपको तेज़ परिणाम मिलते हैं।
अपनी Meta Ads रणनीति के लिए चेकलिस्ट
Meta के इन 7 अपडेट्स को अपनी रणनीति में शामिल करने के लिए इन चरणों का पालन करें:
दोस्तों, डिजिटल मार्केटिंग की दुनिया में हर दो महीने में बड़े बदलाव होते हैं, और मेटा ने इस बार तो पूरी दुनिया को हिला दिया है। ये 7 अपडेट सिर्फ़ नए फ़ीचर्स नहीं हैं; ये Meta के एल्गोरिथम की बढ़ती हुई बुद्धिमत्ता (Intelligence) का प्रमाण हैं। अब समय आ गया है कि हम पुरानी फ़नल स्ट्रेटेजी को छोड़कर, कंसोलिडेशन और WhatsApp प्लेसमेंट जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाएँ। ऐसा करने से ही आपका विज्ञापन ख़र्च (AdSpend) ऑप्टिमाइज़ होगा और आपका मुनाफ़ा बढ़ेगा।
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